क्या है अपेंडिसाइटिस? जानें, इसके कारण, लक्षण और उपचार
2022-05-24 13:52:19
वर्तमान समय में लगभग हर किसी को कभी न कभी पेट दर्द की समस्या होती हैं।इसके पीछे कई कारण होते हैं।इन कारणों में से एक कारण अपेंडिसाइटिस भी है। अपेंडिसाइटिस होने की मुख्य वजह है लोगों की भागदौड़ भरी जिंदगी और गलत लाइफ स्टाइल। जिसकी वजह से हम और आप अपनी सेहत और खान-पान की चीजों पर ध्यान नहीं दे पाते। कारणवश शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती है। वैसे भी इस बदलते परिवेश में करीब सभी लोगों को कब्ज और गैस की शिकायत रहती ही है। जो अपेंडिक्स होने का मुख्य कारण बनते हैं। शुरुआती दौर मेंअपेंडिसाइटिस के लक्षण कम नजर आते हैं। लेकिन समय रहते इसका इलाज न कराना या इसे नजरअंदाज कर देने पर यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है। कई बार यह समस्या इतनी जटिल हो जाती है कि जानलेवा भी साबित होने लगती है।
क्या होती है अपेंडिसाइटिस?
आमतौर पर अपेंडिसाइटिस का खतरा 10 से 40 वर्ष के लोगों में अधिकरहता है। यह महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलती हैं। अपेंडिसाइटिस, आंत से जुड़ी समस्या होती है। ऐसा अपेंडिक्स में सूजन या संक्रमण के कारण होता है। अपेंडिक्स छोटी और बड़ी आंतों के मध्य की कड़ी है। जो एक तरह की थैली होती है। जिसका आकार मलबरी फल (Mulberry Fruit)की तरह होता है। यह कड़ी आंतो से बाहर की ओर निकली रहती है। यह पेट के निचले दाहिने भाग में होती है। अपेंडिसाइटिस की समस्या,अपेंडिक्स में किसी प्रकार की रुकावट के कारण उसके अंदर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। जो पेट दर्द का कारण भी बनते हैं।
क्या होते हैं अपेंडिसाइटिस के प्रकार?
अपेंडिसाइटिस के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं। जो निम्नलिखित हैं:
एक्यूट अपेंडिसाइटिस-
एक्यूट अपेंडिसाइटिस एक तरह की गंभीर समस्या है। जिसके लक्षण अचानक से शुरू होते हैं और समय के साथ बढ़ने लगते हैं। यह लक्षण एक-दो दिन में ही दिखाई देने लगते हैं। इसलिए एक्यूट अपेंडिसाइटिस का इलाज तुरंत करने की आवश्यकता होती है। समय रहते इसका इलाज न कराना या इसे नजरअंदाज कर देने पर यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है।
क्रोनिक अपेंडिसाइटिस-
क्रोनिक अपेंडिसाइटिस की समस्या एक्यूट अपेंडिसाइटिस की अपेक्षा काफी कम एवं गंभीर होती है। इसकी सूजन लंबे समय तक रहती है।कभी-कभी तो इसकी पहचानकरना बहुत मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण इसअपेंडिसाइटिस का उपचार करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार का अपेंडिसाइटिस जानलेवा साबित हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस के लक्षण-
आमतौर पर अपेंडिसाइटिस के शुरूआती लक्षणों में पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द, भूख न लगना आदि शामिल हैं। लेकिन जैसे ही यह समस्या बढ़ने लगती है, तो पेट दर्द का मुख्य लक्षण बन जाता है। इसके अलावा इसके कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं। आइए बात करते हैं इन्हीं अन्य लक्षणों के बारे में:
- नाभिके चारों ओर या पेट के निचले हिस्सें में दाएं तरफ तेज दर्द होना।
- भूख न लगना।
- उल्टी या जी मिचलाना।
- पेट में सूजन होना।
- पेशाब करने में परेशानी महसूस करना।
- पेट में गंभीर ऐंठन होना।
- हल्का बुखार आना।
- गैस के साथ कब्ज या दस्त की समस्या होना।
- मल त्याग करते समय कठिनाई महसूस करना।
- जीभ के ऊपरी सतह पर सफ़ेद आवरण होना।
अपेंडिसाइटिस होने के कारण-
यूं तो अपेंडिसाइटिसहोनेकेकई कारण हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अपेंडिसाइटिस तब विकसित होता है।जब अपेंडिक्स का रास्ता या छिद्र बंद हो जाता है। यह रुकावट अपेंडिक्स के अंदर एक मोटा बलगम जैसा द्रव बनने के कारण होता है। इसके अलावा यह कई चीजों जैसे कठोर मल बढ़े हुए लिंफोसाइड फॉलिकल्स, गहरे जख्म आदि का सीकम से अपेंडिक्स के अंदर चले जाने के कारण भी होते हैं। यह द्रव या मल कठोर होकर पत्थर के तरह मजबूत हो जाते हैं। जो अपेंडिक्स के छिद्र को ब्लॉक कर देते हैं।इस पत्थरनुमा चीज को फेकलीथ (Fecalith) कहा जाता है। जब अपेंडिक्स का छिद्र ब्लॉक हो जाता है, तो उसके अंदर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। जिसके कारण मवाद और सूजन बढ़ने लगते हैं। परिणामस्वरूप पेट में दर्द होने लगता है।समय रहते इसके लक्षण की पहचान न किया जाए, तो अपेंडिक्स की सूजन बढ़ती रहती है और अपेंडिक्स फट भी सकती है।परिणामस्वरूप बैक्टेरिया द्वारा संक्रमण पूरे पेट में फैल जाता है। जो एक गंभीर रूप या जानलेवा साबित हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस के अन्य कारण-
- पाचन की समस्या होने पर।
- अपौष्टिक भोजन का सेवन करने पर।
- अधिक मैदायुक्त या जंग फ़ूड का सेवन करने पर।
- अधिक तैलीय और मसालेदार युक्त पदार्थों का सेवन करने पर।
- भोजन में फाइबर की मात्रा कम होने पर।
- उम्र बढ़ने पर।
अपेंडिसाइटिस से बचाव-
- एक संतुलित आहार खाएं।जिसमें अच्छी मात्रा में फाइबर, फल और हरी सब्जियां शामिल हों।
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ एवं पानी पिएं।
- रोजाना नियमित रूप से योग एवं व्यायाम करें। ऐसा करने से शरीर की पाचन तंत्र सुचारु रूप से काम करता है।
- भोजन करने से पहले हाथों की सफाई काविशेष ध्यान दें।
- चाय, कॉफी,धूम्रपान आदि का सेवन कम करें।
- शराब के सेवन से बचें।
- तले-भुने एवं जंक फ़ूड के सेवन से बचें।
- भोजन को चबाकर खाएं।
- भोजन करते समय पानी न पिएं।
- नियमित रूप से सुबह टहलें।
अपेंडिसाइटिस का इलाज एवं परिक्षण-
- अपेंडिसाइटिस की जांच के लिए डॉक्टर अल्ट्रा-साउंड या सिटी स्कैन कराते हैं।
- इसके इलाज के लिए इंजेक्शन की सहायता से मौजूद पस को बाहर निकाला जाता है।
- इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। क्योंकि अपेंडिसाइटिस,अमूमन संक्रमण के कारण ही होती है।
- अपेंडिक्स की स्थिति में तेज दर्द होने पर डॉक्टर दर्दनिवारक मेडिसिन लेने की सलाह देते हैं।
- आहार में फाइबर एवं तरल युक्त पदार्थ का सेवन करने से अपेंडिक्स की समस्या को कम किया जा सकता है।
- अपेंडिसाइटिस की गंभीर हालत इसे दूर करने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है।
अपेंडिक्स के दर्द के लिए घरेलू उपचार-
अपेंडिसाइटिस एक गंभीर समस्या है। इस स्थिति में चिकित्सक से इलाज करवाना ही बेहतर विकल्प है। घरेलू उपचार से इसे पूरी तरह ठीक नही किया जा सकता है। इन नुस्खों को अपनाकर केवल इससे होने वाले दर्द एवं कुछ अन्य लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसलिए, अपेंडिसाइटिस की स्थिति में सिर्फ घरेलू नुस्खों से उपचार करना सही निर्णय नहीं है। चलिए जानते हैं अपेंडिक्स के दर्द व इसके अन्य लक्षणों को कम करने के लिए घरेलू नुस्खों के बारे में:
फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें-
उच्च मात्रा में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि गेहूं का चोकर, सलाद, पत्ते, गाजर, बीन्स, मटर, कद्दू के बीज, सोया बीन्स, मल को बहुत कठोरया बहुत तरल बनने से रोकते हैं। जिससे पाचन क्रियाआसानी से होती है। इसलिए फाइबर युक्त भोजन का सेवन,अपेंडिसाइटिस के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है।
अरंडी का तेल-
अपेंडिसाइटिस के कारण होने वाले दर्द को कम करने में अरंडी के तेल का उपयोग कारगर साबित होता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, अरंडी के तेल में रिसिनोलिक एसिड मौजूद होता है। यह एक तरह का एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक (दर्दनिवारक) गुण प्रदर्शित करता है। जो अपेंडिसाइटिस से होने वाले दर्द एवं सूजन को कुछ हद तक कम करने का काम करता है। इसके लिए अरंडी के तेल को कपड़े में लगाकर अपेंडिसाइटिस से प्रभावित अंगो के ऊपर कुछ समय के लिए रखें।
ग्रीन टी-
ग्रीन टी भी अपेंडिक्स के दर्द को कम करने का काम करती है। क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो अपेंडिक्स के दर्द और सूजन को कम करने के अलावा पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं से राहत दिलाने का काम करता हैं। इसके अलावा ग्रीन टी में कई ऐसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। जो शारीरिक समस्याओं को दूर करने में सहायक होते है। इसके लिए प्रतिदिन सुबह-शाम एक कप ग्रीन टी का सेवन अवश्य करें।
जिनसेंग टी-
अपेंडिक्स के लक्षणों को कम करने के लिए जिनसेंग टी का सेवन फायदेमंद होता है। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने एवं मजबूत रखने का काम करता है। जिससे कई बीमारियों शरीर से दूर हो जाती है। साथ ही इम्यून सिस्टम के बेहतर होने से अपेंडिक्स के लक्षणों को कम करने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है।
अदरक-
कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में अदरक अच्छाकाम करता है। उन्हीं समस्याओं में से एक अपेंडिक्स भी है।चूंकि अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुणों से समृद्ध होता है। जो दर्द एवं सूजन दोनों से ही राहत दिलाने में मदद करता है। इसलिए अदरक के काढ़े का सेवन करना अपेंडिक्स में अच्छा होता है।
फलों के जूस का सेवन करें-
फलों के जूस, शरीर को हाइड्रेटेड रखने का काम करते हैं। इसके अलावा अपेंडिसाइटिस से राहत पाने के लिए भी फलों का जूस फायदेमंद होता हैं। फलों केअलावा गाजर और चुकंदर का जूस भीअपेंडिसाइटिसके लिए लाभप्रद साबित होता है। दरअसल चुकंदर में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण शरीर को सूजन से राहत दिलाने का काम करते हैं। साथ ही मल त्याग को बढ़ावा देते हैं और पाचन प्रक्रिया में भी सुधार करते हैं।