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बालासन क्या है? जानें, इसके अद्भुत लाभ

बालासन क्या है? जानें, इसके अद्भुत लाभ

2022-06-03 12:53:39

बालासन बैठकर करने वाला योग हैं। इसकी उत्पत्ति संस्कृत शब्द बाल से हुई है। जिसका शाब्दिक अर्थ शिशु या बच्चा होता है। वहीं आसन का मतलब मुद्रा होता है। इसलिए इसे शिशुआसन या ‘बच्चों का आसन’ के नाम से भी जाना जाता है। बालासन को अंग्रेजी में चाइल्ड पोज़ (Child Pose) भी कहते हैं। यह एक आराम करने की मुद्रा होती है जिसे कभी भी किया जा सकता है। खासतौर पर शीर्षासन के बाद किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण आसान है जिसमें शरीर की थकान और तनाव को दूर करके शांत करता है। जिससे व्यक्ति की शरीर ताजगी और आरामदायक महसूस करता है। इस आसन का अभ्यास आध्यात्मिक चेतना को विकसित करने के लिए भी किया जाता है। यह आसन दिखने और करने में आसान  होने के साथ-साथ इसके कई अद्भुत लाभ होते हैं। आइए इस लेख के माध्यम से बालासन को करने का सही तरीका और इससे होने वाले लाभ के बारे में जानते हैं।  

बालासन करने का तरीका-

  • सर्वप्रथम खुले वातावरण में चटाई बिछाएं और वज्रासन में बैठ जाएं।
  • अब गहरी श्वास लेते हुए अपने दोनों हाथों को सीधा सिर के ऊपर उठाएं। ध्यान दें दोनों हाथों की हथेलियां एक दूसरे से न मिलें।
  • अब श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। सुनिश्चित करें कि कूल्हों की जोड़ों से झुकना हैं न की कमर के जोड़ों से।
  • उसके बाद अपने सिर को जमीन से स्पर्श कराएं। इस स्थिति में करीब 1-2 मिनट रहें।
  • अब आप बालासन की मुद्रा में है। इस दौरान पूरे शरीर को आराम दीजिए और गहरी सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें।
  • इस स्थिति मे कुल्हें पैरों से सटे रहने दें। कमर और हाथों को अपनी क्षमतानुसार आगे की ओर स्ट्रेच करें। साथ ही फिर से सांस लेते हुए इस योग को दोहराएं।
  • शुरुआत मे करीब 4 से 5 बार इस आसन को करें।

बालासन करने के अद्भुत लाभ-

  • यह आसन कुल्हें, घुटने और टखनों को मजबूती प्रदान करता है।
  • यह तनाव और अवसाद को कम करके मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है।
  • यह पीठ और गर्दन में होने वाले दर्द से राहत दिलाता है।
  • रोजाना बालासन के अभ्यास से पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है।
  • यह पेट के एक्स्ट्रा फैट को कम करता है।
  • प्रतिदिन इसके अभ्यास से शरीर में ताजगी और स्फूर्ति आती है।
  • इससे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है।

बालासन करते समय बरतें यह सावधानियां-

  • इस योगाभ्यास को शीर्षासन के बाद ही करें।
  • किसी भी तरह के योगाभ्यास के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक दबाव न बनाएं।
  • घुटनों में किसी भी तरह के चोट या दर्द होने पर इसका अभ्यास न करें।
  • दस्त या डायरिया से पीड़ित लोग इस आसन के अभ्यास से बचें।
  • गर्भावस्था के दौरान बालासन का अभ्यास न करें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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