क्या है ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस)? जानें, इसके कारण, लक्षण और बचाव
2022-05-24 12:00:20
ब्लड इंफेक्शन को सेप्सिस (Sepsis) या सेप्टीसीमिया (Septicemia) भी कहा जाता है। यह संक्रमण से होने वाली बीमारी है। यह स्थिति तब होती है, जब संक्रमण से निपटने के लिए रक्त में धुलनशील रसायन पूरे शरीर में सूजन या जलन पैदा करते हैं। जिसके कारण शरीर में कई तरह के परिवर्तन नजर आते हैं। परिणामस्वरूप शरीर में कई अंग प्रणाली को नुकसान पहुंचता हैं या उनके प्रक्रिया में रुकावट आती है। ऐसे में लोगों को डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। क्योंकि इसे नजरअंदाज कर देना शरीर में तेजी से संक्रमण फैलने का कारण बन सकता है। जिससे यह सेप्टिक शाक का रूप ले लेता है। इस स्थिति में शरीर का कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और रक्चाप (ब्लड प्रेशर) एकाएक घटने लगता है। जिससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसके शुरुआती लक्षण को कुछ घरेलू उपाय या अपने दिनचर्या में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। आइए इस लेख के माध्यम से ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस) के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में जानते हैं।
ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस) के लक्षण एवं चरण-
सेप्सिस का कोई एक लक्षण नहीं होता है। इसमें लक्षणों का संयोजन होता हैं। इन्हीं लक्षणों के आधार पर ब्लड इंफेक्शन के चरण को तीन भागों में बाटा गया हैं। जिसमें पहला सेप्सिस की शुरुआती स्थिति, दूसरा गंभीर सेप्सिस और अंतिम सेप्टिक शाक की स्थिति होती है। आइए बात करते है इसके चरण एवं लक्षण के बारे में जो निम्नलिखित हैं ;
शुरुआती ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस)-
सेप्सिस का परिक्षण या निदान करने के लिए निम्न लक्षण मरीज में दिखने जरुरी होते हैं, जो इस प्रकार है:
- जल्दी-जल्दी (तेजी) से सांस लेना।
- संक्रमण की संभावना या पुष्टि होना।
- शारीरिक तापमान में बदलाव होना।
- दिल की धड़कन तेज होना अर्थात एक मिनट में 90 से अधिक बार धड़कना।
गंभीर सेप्सिस के लक्षण-
- सेप्सिस के गंभीर चरण में मरीज को कई लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन उसमें से कुछ निम्नलिखित हैं :
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- प्लेटलेट की संख्या में तेजी से गिरावट आना।
- मूत्र में कमी महसूस करना।
- व्यक्ति के मानसिक स्थिति में बदलाव होना।
- हृदय द्वारा असामान्य रूप से पंपिंग करना।
- पेट में असहनीय दर्द होना।
सेप्टिक शाक-
सेप्टिक शाक के लक्षण गंभीर सेप्सिस की तरह ही होते हैं। लेकिन इसमें रक्तचाप में उतार-चढ़ाव होता है। इस स्थिति में शरीर का कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और रक्चाप (ब्लड प्रेशर) एकाएक घटने लगता है। जिससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। अतः डॉक्टर मरीज के रक्तचाप को सामान्य करने के लिए तरल पदार्थों का सहारा लेते हैं।
ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस) होने के कारण-
ब्लड इंफेक्शन होने के पीछे कई कारण होते हैं। लेकिन आमतौर पर इसका मुख्य कारण प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग-प्रतिरोधक का कमजोर) में खराबी होती है। चूंकि प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर पर आक्रमण करने वाली रोगाणु या विषाणु से बचाने का काम करते हैं। लेकिन किसी कारणवश इसमें खराबी या गड़बड़ी हो जाती है तो इस स्थिति में ब्लड इंफेक्शन जैसी समस्या होने लगती है।यह बीमारी ज्यादातर अंडर रिएक्शन या ओवर रिएक्शन की वजह से होती है।
अंडर रिएक्शन (Under reaction)-
इस स्थिति में मरीज के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक तरीके से काम नहीं कर पाती या काम करना बंद कर देती है।
ओवर रिएक्शन (Over reaction)-
यह स्थिति तब होती है जब वायरस या बैक्टीरिया प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए ट्रिगर का काम करते हैं।
ब्लड इंफेक्शन होने के अन्य कारण-
- हड्डियों के संक्रमण होने पर।
- त्वचा के ऊपरी भाग में खरोंच या चोट होने पर।
- अधिक स्टेरॉयड दवाइयों का सेवन करने पर।
- वृद्ध लोग खासकर स्वास्थ्य संबंधी अन्य बिमारियों से ग्रसित होने पर।
- डायबिटीज (मधुमेह) से पीड़ित होने पर।
- गर्भवती महिलाओं को असुरक्षित प्रसव (डिलीवरी) होने पर।
- निमोनिया, अपेंडिसाइटिस, मेंजोइटिस एवं मूत्र मार्ग में संक्रमण होने पर।
ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस) से बचाव-
- जिन लोगों का प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होता है, उन लोगों में संक्रमण तेजी से फैलते हैं। ऐसे में उन्हें शरीर के प्रति विशेष ख्याल रखना चाहिए।
- नियमित रूप से टीकाकरण करवाएं। साथ ही अपने छोटे बच्चों को समय-समय पर निमोनिया, फ्लू या अन्य संक्रमण का टीकाकरण करवाते रहें।
- स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। प्रतिदिन स्नान करें।
- भोजन करने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं।
- पर्याप्त मात्रा में पानी एवं तरल पदार्थों का सेवन करें।
- शरीर पर लगे चोट, घाव या खरोंच की देखभाल करें।
- वृद्ध लोग शरीर में पानी की कमी न होने दें।
- नाड़ी, तापमान, रक्तचाप और श्वसन दर की नियमित जांच करवाएं।
- गर्भवस्था के दौरान महिलाओं को फ्लू होने से बचना चाहिए।
ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस) के घरेलू उपचार-
विटामिन सी युक्त पदार्थों का सेवन-
विटामिन सी युक्त पदार्थ रक्त विषाक्तता (Blood Infection) के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ज्यादातर ब्लड इंफेक्शन के शुरुआती लक्षणों को रोकने में मदद करता है। यह शरीर में किसी भी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की वृद्धि और मरम्मत में सहायक होता है। दरअसल, विटामिन सी एक प्रतिरक्षा बूस्टर है और घावों को भरने में भी मददगार है। यह मरीजों को रक्त में बैक्टीरिया से लड़ने एवं छोटी रक्त वाहिकाओं के कामकाज में सुधार करने में मदद करता है।
हल्दी-
रक्त विषाक्तता सहित कई रोगों के लिए हल्दी व्यापक रूप से प्राकृतिक उपचार के रूप में जानी जाती है। यह शरीर में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाती है। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण एवं एंटी बायोटिक गुण शरीर में होने वाली विभिन्न प्रकार के संक्रमणों लड़ने और बचाने का काम करता है। इसलिए हल्दी को संक्रमण से निजात दिलाने में सबसे कारगर औषधि मानी गई है।
लहसुन-
हल्दी की तरह, लहसुन भी एक प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर है। इसलिए ब्लड इंफेक्शन यानी सेप्सिस के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपचारक है। इसमें एलिसिन नामक एक घटक पाया जाता है, जो रक्त संक्रमण को रोकता है। इसके लिए लहसुन की कलियों को काटकर शहद के साथ नियित रूप से सेवन करने पर रक्त विषाक्तता से छुटकारा मिलती है।
शहद-
शहद को फ़ास्ट रिकवरी बूस्टर माना जाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है। साथ ही सेप्सिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया से प्रभावी ढंग से लड़ने में सक्षम बनाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि शहद का प्रतिदिन सेवन किया जाए तो यह सभी प्रकार के संक्रमणों को दूर कर सकता है। इसके अलावा यदि इसे घाव पर लगाया जाए तो यह घाव को भरने में भी मदद करता है।
स्लिपरी एल्म-
स्लिपरी एल्म से कट या घाव का इलाज करने से बैक्टीरिया को घाव के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सकता है।
आलू-
आलू का रस त्वचा पर दिखाई देने वाली सेप्सिस सूजन के लिए एक कारगर उपाय माना जाता है। आलू के स्लाइस को प्रभावित अंगों पर रखकर 15 से 20 मिनट तक हल्के हाथों से रगड़ने से सूजन कम हो जाती है।