क्या है काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा पद्धति?
2022-05-24 18:23:36
काइरोप्रैक्टिक एक वैकल्पिक उपचार पद्धति है। इसका उपयोग मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़ों और इनसे जुड़े ऊतकों (Tissue) जैसे कि कार्टिलेज, टेंडन्स और लिगामेंट्स में होने वाले दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। यह शरीर के तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) और हड्डियों के तंत्र में आने वाले विकारों का, बिना ऑपरेशन किए जाने वाले उपचार का एक प्रकार है। काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा में बिना किसी सर्जरी या दवा के हड्डी तंत्र को सही स्वरुप में लाने के लिए काइरोप्रैक्टर थेरेपिस्ट हाथों की मदद से रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालते हैं। जिससे शरीर स्वयं दर्द को ठीक कर लेता है। यह दबाव इसलिए उपयोग किया जाता है ताकि टिश्यू में किसी दुर्घटना जैसे गिरने से चोट लगने या पीठ को बिना सहारा दिए बैठने आदि कारण से जोड़ों को हिलाने-डुलाने में होने वाली परेशानी को दूर किया जा सके।
काइरोप्रैक्टिक उपचार की विधि-
काइरोप्रैक्टिक उपचार को करने से पहले काइरोप्रैक्टर थेरेपिस्ट स्वास्थ्य संबंधित कुछ सवाल पूछते हैं और रीढ़ की हड्डी पर केंद्रित काइरोप्रैक्टर एक्स-रे, शारीरिक जांच भी करते हैं। इसके बाद कुछ काइरोप्रैक्टर इलाज के लिए ताकत लगाकर मरोड़ने की तकनीक उपयोग करते हैं तो कुछ इसके उलट अधिक सौम्य तरीका अपनाकर इलाज करते हैं। इसमें रीढ़ की हड्डी को हल्के से हिलाया डुलाया जाता है। इसके साथ ही काइरोप्रैक्टर थेरेपिस्ट इलाज के लिए ठंडा या गर्म सेक, इलेक्ट्रिक सिमुलेशन (बिजली के हल्के प्रवाह से कोशिकाओं में उत्तेजना पैदा करना), रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा करने वाले उपकरण और ऊतकों को गर्मी देने के लिए अल्ट्रासाउंड इत्यादि तरीकों का भी उपयोग करते हैं। इलाज के लिए अधिकांश तकनीकों का उपयोग एक गद्देदार और एडजस्ट की जा सकने वाली मेज पर किया जाता है। पीड़ित को आमतौर पर एक निश्चित स्थिति में बैठाकर या सुलाकर थेरेपिस्ट उपचार शुरू करते हैं। इसके बाद काइरोप्रैक्टर एक उचित सीमा में जोड़ों पर अचानक ताकत का प्रयोग करके जोड़ों को सामान्य से अधिक मोड़ने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने पर कई बार हड्डियों के कड़कने की आवाज भी सुनाई देती है।
काइरोप्रैक्टिक उपचार से ठीक होने वाले रोग;
- ब्रुक्सिज्म (दांतों का विकार)
- बर्साइटिस
- मासिक धर्म के कारण होने वाली ऐंठन
- सायटिका
- सिरदर्द
- जोड़ों का दर्द
- तनाव
- हर्नियेटेड डिस्क
- लैबिरिंथाइटिस
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- कठोर गर्दन
काइरोप्रैक्टिक उपचार के नुकसान;
- कुछ लोगों को काइरोप्रैक्टिक उपचार के हल्के नुकसान जैसे सिरदर्द, थकान या इलाज करने वाली जगह पर दर्द हो सकता है।
- जिन लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस, रीढ़ की हड्डी में संपीड़न (spinal cord compression) या इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस है या जो लोग खून पतला करने की दवा ले रहें हैं, उन्हें काइरोप्रैक्टिक उपचार नहीं करवाना चाहिए।
- जिनको सुन्न होना, झुनझुनी और हाथ या पांव में कमजोरी आने की परेशानी है, उन्हें भी यह उपचार नहीं कराना चाहिए।
- कैंसर के मरीजों को यह थेरेपी लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए और उनकी अनुमति से ही इस थेरेपी का उपयोग करना चाहिए।