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क्या होती हैं शीतलचीनी? जानें, इसका आयुर्वेद में महत्व और फायदों के बारे में

क्या होती हैं शीतलचीनी? जानें, इसका आयुर्वेद में महत्व और फायदों के बारे में

2022-05-24 12:02:55

शीतलचीनी एक आयुर्वेदिक बीज है। जिसका वानस्पतिक नाम पाइपर क्यूबेबा (Piper cubeba) होता है। होम्योपैथी चिकित्सा में इसे क्यूबेबा ऑफिसिनैलिस के नाम से जाना जाता हैं। यह पिपरऐसी (Piperaceae) परिवार से संबंध रखता है। इसके बीज देखने में काली मिर्च की तरह होते हैं। इसके कच्चे फल को सुखाकर उपयोग में लाया जाता है। इसके बीज को मुंह में रखने पर ठंडक का अहसास होता है। इसलिए इसे शीतलचीनी के नाम से जानते हैं। इसके अलावा शीतलचीनी को कंकोल, सुगंधमरीच, कबाबचीनी के नाम से भी पुकारा जाता हैं।

शीतल चीनी के औषधीय गुण-

शीतल चीनी में कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं। जो कई प्रकार के रोगों से शरीर को दूर रखने में सहायता करती है। साथ ही कई रोगों के इलाज में भी मदद मिलती है। इसमें मुख्य रूप से कैरेमेटिव, मूत्रवर्धक, उत्तेजक, शामक और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। यह सभी गुण खांसी, जुकाम, ब्रोंकाइटिस, श्वसन संक्रमण और प्रजनन प्रणाली से संबंधित समस्याओं के इलाज में मदद करते हैं।

शीतल चीनी के फायदे- 

इन्फ्लुएंजा से दिलाती है राहत-

शीतल चीनी के औषधीय गुण का असर इन्फ्लुएंजा पर सकारात्मक रूप से पड़ता है। इस पौधे के बीज बच्चों के लिए जुकाम की दवा के रूप में काम करते हैं। साथ ही यह गले में खराश की समस्या का भी समाधान करने का काम करता है। इसके लिए अदरक और शीतलचीनी के बीज को मैश करके पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को बच्चों के शरीर पर लगाएं। ऐसा करने से सर्दी-खांसी, बुखार या इन्फ्लुएंजा में राहत मिलती है। 

थकान को दूर करने में कारगर-

 शीतलचीनी में मौजूद औषधीय तत्व शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने एवं थकान को मिटाने में कारगर होते हैं।शीतलचीनी, अदरक, लौंग और नींबू को पानी में मिलाकर उबालें। तबतक उबालें जबतक पानी उबलकर आधा न रह जाएं। अब इस मिश्रण (काढ़ा) को छानकर पीएं। ऐसा करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। परिणामस्वरूप थकान और कमजोरी दूर होती है।

सिरदर्द दूर करें-

शीतलचीनी खाने से सिरदर्द में लाभ मिलता है। क्योंकि इसमें पाए जाने वाला एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण सिरदर्द और माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसके लिए शीतलचीनी के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें। अब इसमें नारियल का तेल एवं 2-3 बूंद नीलगिरी के तेल को मिलाकर सिर की मालिश करें। ऐसा करने से सिर दर्द और इससे संबंधित कई मानसिक समस्याएं दूर होती हैं।

बुखार के इलाज के लिए-

शीतलचीनी का उपयोग बुखार के इलाज के लिए एक प्राकृतिक उपचारक है। दरअसल शीतलचीनी में एंटी पायरेटिक गुण होते हैं जो बुखार, सर्दी और बलगम से निजात दिलातें हैं। इसके अलावा शीतलचीनी के चूर्ण का सेवन शहद के साथ करने से खांसी में लाभ पहुंचता है। इसलिए सर्दी, बुखार, खांसी या अन्य वायरल इंफेक्शन होने पर अपने दिनचर्या में शीतलचीनी का उपयोग जरूर करें।

यूरिनरी ट्रैक्ट संबंधित समस्याओं में लाभदायक-

शीतलचीनी में मूत्रवर्धक और सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल किडनी की सूजन, मूत्र पथ में संक्रमण, प्रोस्टेट और यूट्रीन इंफ्लमेशन के लिए किया जाता है। इसके अलावा शीतलचीनी पेशाब के दौरान होने वाले जलन, दर्द या बार-बार पेशाब होने जैसी समस्याओं से राहत पहुंचाने का काम करती हैं। इसके लिए शीतलचीनी की जड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से इन समस्याओं से निजात मिलती हैं।

जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभप्रद-

शीतलचीनी के गुण जोड़ों के दर्द और गठिया की समस्या को कम करते हैं। कई बार जोड़ों में दर्द और गठिया का मुख्य कारण सूजन होती है। जिससे छुटकारा दिलाने में शीतलचीनी मदद करती है। शीतलचीनी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव पाया जाता है। जो सूजन की समस्या को कम कर गठिया की स्थिति में राहत पहुंचाता है।

सांसों की दुर्गंध को करें दूर-

आयुर्वेद चिकित्सा में सांसों की दुर्गंध को दूर करने एवं मौखिक स्वास्थ्य के लिए शीतलचीनी एक प्राकृतिक घटक है। इसमें मौजूद सुगंधित खुशबू सांसों की बदबू को दूर करती है। इसके लिए शीतलचीनी के बीजों को मुंह में रखकर चूसें। इसके अतिरिक्त शीतलचीनी और दालचीनी के चूर्ण को एक चौथाई टीस्पून लेकर एक गिलास पानी में मिलाकर आधे घंटे के लिए रख दें। अब इस मिश्रण से कुल्ला करें। ऐसा करने से भी मुंह से गंदगी दूर होती है। साथ ही सांस तरोताजा होती हैं।

बवासीर में असरदार-

बवासीर के उपचार में यह जड़ी-बूटी बेहद असरदायक होती है। ऐसे में शीतलचीनी के चूर्ण को दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें। ऐसा करने से शरीर के अंदर मौजूद अशुद्धियां मूत्र के माध्यम से बाहर आ जाते हैं। जिससे गैस, एसिडिटी, कब्ज और अन्य पेट संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है। इसप्रकार यह कब्ज की समस्या को दूर करके बवासीर में लाभप्रद होती है।

शीतलचीनी के उपयोग-

●शीतलचीनी का इस्तेमाल कई प्रकार के व्यंजन बनाने में किया जाता है।

●शीतलचीनी का  काढ़ा बनाकर उसका सेवन किया जाता है ।

●खांसी-जुकाम होने पर शीतलचीनी पाउडर और शहद को मिलकर चाटा जाता है।

●शीतलचीनी का दूध के साथ सेवन किया जाता है।

शीतलचीनी के नुकसान-

●शीतलचीनी का सेवन उचित मात्रा में करनी चाहिए। 

●शीतलचीनी का अधिक सेवन करने से एलर्जी की समस्या हो सकती है।

●इसका अधिक सेवन गुर्दे, मूत्र एवं भोजन विषाक्ता का कारण बन सकता है। 

●गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाऐं इसका इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

 

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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