ई कोलाई संक्रमण क्या है?
2023-10-16 00:00:00
ई कोलाई संक्रमण क्या है?
ई कोलाई बैक्टीरिया, सामान्य तौर पर स्वस्थ मानव और पशुओं की आँतों में वैसे भी मौजूद रहता है। कई किस्म के ई कोलाई नुकसानदेह नहीं होते या फिर इनसे ज्यादा से ज्यादा कुछ समय के लिए डायरिया हो जाता है। लेकिन कुछ खतरनाक ई कोलाई, जैसे O157:H7 से पेट में भयानक मरोड़, खूनी अतिसार (दस्त) और उल्टी जैसी परेशानी हो सकती है।
ई कोलाई इन्फेक्शन दूषित पानी या भोजन से हो सकता है। संक्रमण, विशेष तौर पर, कच्ची सब्जियां या कम पका मीट खाने से हो सकता है। स्वस्थ व्यक्ति ई कोलाई O157:H7 के संक्रमण से हफ्ते भर में उबर जाता है लेकिन छोटे बच्चों और बुजुर्गों को जानलेवा किस्म की परेशानी "हीमोलीटिक यूरेमिक सिंड्रोम" (Hemolytic Uremic Syndrome) होने का खतरा अधिक रहता है जिसमें आखिरकार किडनी काम करना बंद कर देता है।
ई कोलाई संक्रमण के लक्षण
ई कोलाई O157 से संक्रमित व्यक्तियों में निम्न मे से 1 या उससे अधिक लक्षण मिल सकते हैं। आमतौर पर संक्रमित होने के 3 से 4 दिन बाद लोग इसके लक्षणों पर ध्यान देते हैं, लेकिन इसके लक्षण 1 से 14 दिनों के भीतर कभी भी शुरू हो सकते हैं। यह लक्षण दो हफ्तों तक रह सकते हैं।
- दस्त
- मल में खून आना
- उल्टियां
- पेट में ऐंठन या मरोड़
- बुखार
ई कोलाई से ग्रसित कुछ लोगों में एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसे हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम (HUS) कहते हैं। कभी-कभी इससे किडनी फेल (खराब) हो जाती हैं। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में HUS की संभावना सबसे अधिक होती है| कुछ लोग ई कोलाई O157 से संक्रमित होते हैं लेकिन उनमें कोई लक्षण उत्पन्न नही होते।
ई कोलाई संक्रमण के कारण
ई कोलाई संक्रमण निम्न कारणों से हो सकता है-
- संक्रमित पदार्थों का सेवन करना जैसे कच्ची पत्तेदार सब्जियां, अधपका मांस या कच्चे दूध से बने पदार्थ खाना।
- संक्रमित पशुओं को छूना या अनजाने में उनके मल के संपर्क में आना जैसे शिविर स्थलों तथा फ़ार्म जैसी जगह।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से, विशेष रुप से जब आप शौच के बाद या खाद्य पदार्थों को छूने से पहले अपने हाथ अच्छे से नहीं धोते।
- किसी अनुपचारित जल व्यवस्था से पानी पीना।
- संक्रमित पानी जैसे तालाबों या नालों में तैरना या खेलना।
ई कोलाई संक्रमण का उपचार
ई कोलाई O157 संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। आमतौर पर संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल घर पर ही की जा सकती है और अधिकतर लोग बिना चिकित्सा के ही बेहतर हो जाते हैं। दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है ,इसलिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेना अत्यंत आवश्यक है। यदि आपको या आपके बच्चे के दस्त में खून आने लगे तो अपने डॉक्टर से जल्द से जल्द मिले। इसमे एंटिबयोटिक्स लेने की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि उनसे जटिलताओं के उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। दस्त को रोकने वाली औषधियां जैसे लोपेरामाइड (Imodium) भी नहीं दी जाती क्योंकि वे विषैले तत्वों से आपके सम्पर्क को बढ़ा सकते हैं।