क्या है एंडोकार्डाइटिस? जानें, इसके लक्षण, कारण और उपचार
2022-05-24 12:47:17
एंडोकार्डाइटिस दिल से जुड़ी एक समस्या है। जो दिल में संक्रमण की वजह से होती है। जिसमें ह्रदय के भीतरी परत में सूजन आ जाती है। ह्रदय के इस भीतरी/अंदरूनी परत को एंडोकार्डियम कहा जाता है। जब इस परत में शरीर के किसी अन्य भाग से बैक्टीरिया, कवक या अन्य रोगाणु का संक्रमण हो जाता हैं। तो इस स्थिति को एंडोकार्डाइटिस कहते हैं। एंडोकार्डाइटिस को हिंदी में अन्तर्हृदय शोथ कहा जाता है। इसके अलावा यह संक्रमण मौखिक गतिविधिया एवं रक्तप्रवाह के जरिए भी फैलते हैं। जो हदय को प्रभावित करते हैं।
आमतौर पर एंडोकार्डियम में हृदय के वाल्व शामिल होते हैं। इसके अलावा इसमें इंटरवेंट्रिकुलर सेप्टम (interventricular septum), म्यूरल एंडोकार्डियम (mural endocardium), कॉर्डे टेंडिने (chordae tendineae) एवं इंट्राकार्डिक उपकरणों की सतह (surfaces of intracardiac devices) शामिल होते हैं। एंडोकार्टिटिस के घावों को वेजिटेशन ( vegetations) के रूप में जाना जाता है। जो फाइब्रिन, प्लेटलेट्स, माइक्रो ऑर्गेनाइज्म के माइक्रोकोलियनिज्म और इंफ्लेमेटरी सेल्स का एक भाग है।
क्या होते हैं एंडोकार्डाइटिस के लक्षण?
एंडोकार्डाइटिस या दिल में होने वाले संक्रमण के कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं। जो निम्न हैं-
- फ्लू जैसी ठंड लगना और बुखार होना।
- लगातार खांसी आना
- तेज रक्त प्रवाह के कारण दिल से अलग तरह की आवाज (बदली हुई) आना।
- अधिक कमजोरी एवं थकान महसूस करना।
- जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द होना।
- सोते समय रात में पसीना आना।
- सांस लेने में तकलीफ महसूस करना।
- सांस लेते समय सीने में दर्द होना।
- पेट और पैरों में सूजन होना।
इसके अलावा एंडोकार्डाइटिस के कुछ असामान्य लक्षण भी नजर आते हैं। जो इस प्रकार हैं-
- बिना किसी कारण तेजी से वजन घटना।
- पेशाब में खून आना।
- संक्रमण की वजह से प्लीहा (तिल्ली) में मुलायमपन होना।
- हथेलियों और पैर के तलवों पर लाल चकते पड़ना।
- ओसलर एवं अंगूठों की त्वचा पर लाल और मुलायम उभार होना।
- पेटिकिआई (Petechiae), त्वचा, मुंह और आंखों पर लाल या बैंगनी रंग के धब्बे पड़ना।
क्या होते हैं एंडोकार्डाइटिस के कारण?
- मुंह को नियमित रूप से साफ न करने पर।
- मसूड़ों से निकलने वाले खून के द्वारा दिल के अंदरूनी टिश्यू में चले जाने पर ।
- टैटू कराने वाले सुई के इस्तेमाल करने पर।
- संक्रामक सुई द्वारा अवैध दवाएं, हेरोइन, कोकीन जैसे मादक ड्रग्स लेने पर।
- कुछ डेंटल प्रक्रिया की वजह से मसूड़ों के कट जाने पर।
एंडोकार्डाइटिस होने के जोखिम कारक-
आर्टिफिशल हार्ट वाल्व-
नार्मल हार्ट वाल्व की तुलना में आर्टिफिशल वाल्व लगाए हुए व्यक्तियों में रोगाणु फैलने की आशंका अधिक रहती है।
जन्मजात ह्रदय दोष-
जिन लोगों को जन्म से ही दिल संबंधित बीमारी होती है। अत: इस स्थिति में दिल, संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील हो सकता है।
पहले कभी एंडोकार्डाइटिस हुआ हो-
यदि किसी व्यक्ति को पहले कभी एंडोकार्डाइटिस हुआ हो तो ऐसे में उसे ह्रदय संबंधित संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि एक बार एंडोकार्डाइटिस होने पर व्यक्ति का हार्ट टिश्यू डैमेज हो चुका होता है। इसलिए यह भी एक एंडोकार्डाइटिस होने का जोखिम कारक हो सकता है।
रयूमेटिक फीवर-
रयूमेटिक फीवर होने से हार्ट वॉल्व डैमेज हो जाते हैं। जिससे एंडोकार्डाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
एंडोकार्डाइटिस से बचाव-
- अपने दांतों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें।
- भोजन करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
- दांतों और मसूड़ों को फ्लॉस (दांत साफ करने का धागा) की मदद से अच्छी तरह से साफ करें और नियमित रूप से दन्त चिकित्सक से परामर्श लें।
- शरीर के किसी अंग पर छेद करवाना, टैटू बनवाना और अन्य तरह की त्वचा को संक्रमित करने वाले प्रक्रियाओं से बचें।
- किसी भी प्रकार का त्वचा संक्रमण और घाव ठीक न होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
एंडोकार्डाइटिस की जांच-
ब्लड कल्चर-
एंडोकार्डाइटिस की जांच के लिए डॉक्टर ब्लड कल्चर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट के जरिए बैक्टीरिया और फफूंद के बारे में पता लगाया जाता है। इसके अलावा ब्लड टेस्ट के माध्यम से एनीमिया आदि का भी पता चलता है।
इकोकार्डियोग्राम टेस्ट-
एंडोकार्डाइटिस (Endocarditis) के लिए इकोकार्डियोग्राम टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए ध्वनि तरंगों के माध्यम से दिल की तस्वीरें निकाली जाती हैं। जिससे दिल के टिश्यू (ऊतकों) में होने वाले संक्रमण के बारे में पता चलता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम-
जब इकोकार्डियोग्राम से रिपोर्ट स्पष्ट नहीं होती तो इस स्थिति में डॉक्टर मरीज को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट कराने का अनुरोध देते हैं। इस टेस्ट में डॉक्टर मरीज के दिल की धड़कनों की जांच करते हैं।
एक्स-रे-
डॉक्टर फेफड़े और दिल की स्थिति को जानने के लिए सीने का एक्स-रे करवाते हैं। जिससे दिल के बढ़े आकार और फेफड़ों में संक्रमण के बारे में पता लगाया जाता हैं।
सीटी स्कैन या एमआरआई-
डॉक्टर एंडोकार्डाइटिस की गंभीर समस्या होने पर सीटी स्कैन या एमआरआई टेस्ट भी लिख सकते हैं। इसके द्वारा दिल के अलावा शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण फैलने का भी पता चलता है।
एंडोकार्डाइटिस से जुड़ी जटिल समस्याएं-
स्ट्रोक और अंगो में क्षति होना-
एंडोकार्डाइटिस होने पर संक्रमण वाली जगहों पर कोशिका के टुकड़े और बैक्टीरिया के समूह बन जाते हैं। जब यह बैक्टीरिया टूटकर बिखरते हैं तो इस स्थिति में यह ब्लड के माध्यम से पेट, गुर्दे, मस्तिष्क एवं शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंच जाते हैं। जिससे स्ट्रोक या अन्य ऊतकों या अंगो को नुकसान पहुंचता है। साथ ही विभिन्न शारीरिक और मानसिक परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं।
मांसपेशियों या अन्य भागों में संक्रमण-
एंडोकार्डाइटिस गुर्दे, मस्तिष्क, लिवर, तिल्ली सहित शरीर के अन्य हिस्सों में फोड़े वाले पस बनाता है। जिससे दिल की मांसपेशियों में भी फोड़ा बन सकता है। फलस्वरूप दिल की धड़कन असामान्य हो सकती है। ऐसे में गंभीर फोड़े के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
ह्रदय फेल हो जाना-
समय रहते एंडोकार्डाइटिस का इलाज न कराने पर दिल के वाल्व को नुकसान पहुंचता है। इलाज न होने की वजह से यह संक्रमण अंदरूनी परत को हमेशा के लिए नष्ट कर सकता है। जिससे वाल्व को रक्त पंप करने में कठिनाई होने लगती है। परिणामस्वरूप ह्रदय फेल होने की आशंका बढ़ जाती है।