गोमुखासन क्या है? जानें, इसके नियम और फायदे
2022-06-16 00:00:00
योग शास्त्र में वर्णित गोमुखासन बैठकर किए जाने वाले महत्वपूर्ण आसनों में से एक हैं। इसे हठ योग के श्रेणी का आसन माना जाता है। यह संस्कृत भाषा के दो शब्द गौ और मुख से मिलकर बना है। गौ का शाब्दिक अर्थ गाय एवं मुख का मतलब चेहरा होता है। अर्थात इस आसन को करते समय जांघ और पिंडली गाय के चेहरे के समान मुद्रा में आ जाता है। इसलिए इसे गोमुखासन कहा जाता है। गोमुखासन को अंग्रेजी में काऊ फेस पोज़ (Cow Face Pose) के नाम से जाना जाता है।
गोमुखासन करने के नियम-
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सर्वप्रथम समतल जमीन पर चटाई बिछाकर दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं।
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इस दौरान आपके दोनों पैर सामने की ओर फैलाएं और हाथ शरीर से सटे हुए जमीन के पास रहें।
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अब अपने दाएं पैर को मोड़कर घुटने को बाईं जंघा के नीचे इस प्रकार टिकाएं कि वह नितंब को छुएं।
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इसी तरह बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाईं जंघा के ऊपर से घुमाकर इसप्रकार से रखें ताकि पैर जमीन को स्पर्श करें।
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इसके बाद दाएं हाथ को ऊपर उठाएं और कोहनी से मोड़ते हुए पीठ के पीछे की ओर ले जाएं।
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अब बाएं हाथ को पीठ के पीछे ले जाकर कोहनी से मोड़कर दाएं हाथ की उंगलियों को छूने की कोशिश करें।
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ध्यान रखें इस अवस्था में रीढ़ की हड्डी सीधी रहें।
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अब इस अवस्था में आंख को बंद करके 1-2 मिनट तक बने रहें और सामान्य रूप से सांस लें।
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गोमुखासन से बाहर निकलने के लिए अपने हाथों को खोलें और पैरों को सीधा करें।
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पुनः इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।
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इस तरह इस आसन को करीब 3-4 बार करें।
गोमुखासन के फायदे-
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यह आसन पीठ, कुल्हें, बांहों और कंधें की पेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
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यह पैर की मांसपेशियों की ऐंठन को करता है।
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यह आसन साइटिका और गठिया के मरीजों के लिए अच्छा उपाय माना जाता है।
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गोमुखासन से शरीर में लचीलापन आता है।
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यह आसन मधुमेह को नियंत्रित करने का काम करता है। इसलिए मधुमेह के रोगियों के लिए काफी लाभकारी है।
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गोमुखासन विश्राम के लिए एक उत्कृष्ट आसन है।
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रोजाना गोमुखासन का निरंतर अभ्यास शारीरिक थकान, चिंता और तनाव को कम करता है।
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यह आसन हृदय को स्वस्थ्य रखने एवं हृदय संबंधी बीमारियों से बचाने के लिए बेहद लाभदायक है।
गोमुखासन करते समय बरतें यह सावधानियां-
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यदि इस आसन के अभ्यास के दौरान पीठ के पीछे उंगलियां पकड़ने में दिक्कत महसूस हो तो जबरदस्ती न करें।
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यदि गर्दन, कंधें या घुटनों में तीव्र दर्द हो, तो इस स्थिति में गोमुखासन न करें।
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रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार के दर्द या समस्या होने पर इस आसन को न करें।
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खूनी बवासीर के रोगियों को इस योगाभ्यास से बचना चाहिए।
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गर्भवती महिलाएं इसके अभ्यास से बचें।