गाउट (वातरक्त) क्या है? जानें, इसके लक्षण, कारण और घरेलू उपाय
2022-08-29 18:44:40
गाउट, गठिया का एक प्रकार होता है। यह एक प्रकार की सूजन एवं जोड़ों का दर्द होता है। जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है। गाउट की स्थिति हर व्यक्ति के लिए काफी तकलीफदेह होती है, क्योंकि इस दौरान उसे असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। जब रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति जब कुछ देर के लिए आराम करता है तो यूरिक एसिड पैर के अंगूठे या जोड़ों में इकठ्ठा होकर क्रिस्टल का रूप ले लेते हैं। इस स्थिति को गाउट या आयुर्वेदिक चिकित्सा में वातरक्त के नाम से जाना जाता है। जिससे व्यक्ति के जोड़ों में अचानक गंभीर दर्द, कोमलता और सूजन आ जाती है। आमतौर पर गाउट का इलाज दवाओं एवं जीवनशैली में बदलाव से किया जा सकता है।
गाउट गठिया का एक सामान्य रूप है और यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। लेकिन ज्यादातर यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक देखने को मिलता है। यह आमतौर पर रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में होता है। इस बीमारी का प्रभाव पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा तीन गुना अधिक होने की संभावना हो सकती है क्योंकि उनके अधिकांश जीवन में यूरिक एसिड का स्तर अधिक होता है।
वैसे तो गाउट होने की अधिक संभावना नींम लोगों में देखने को मिलती है:
- जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं।
- उच्च रक्तचाप।
- मोटापा।
- गुर्दे संबंधी समस्या होने पर।
- हृदय संबंधी समस्या होने पर।
- गठिया का पारिवारिक इतिहास रहा हो।
गाउट के लक्षण-
गाउट यानी वातरक्त के लक्षण हमेशा अचानक और अक्सर रात में दिखाई देते हैं। उसमें शामिल कुछ निम्नलिखित हैं:
- जोड़ों में तेज दर्द-आमतौर पर गाउट पैर के अंगूठे को प्रभावित करता है। लेकिन इसके अतिरिक्त यह किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है। जिसमें मुख्य रूप से घुटने, कोहनी, टखने, कलाई और उंगलियां शामिल हैं।
- सूजन और लालिमा-लालिमा, सूजन और खुजली गाउट के सामान्य लक्षण हैं, जो जोड़ों पर देखें जाते हैं।
- लंबे समय तक बेचैनी-यदि कोई व्यक्ति अचानक इस समस्या से पीड़ित हो। इस स्थिति में इलाज करने पर यह दर्द कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों में ठीक हो जाता है। लेकिन बाद में गाउट की समस्या बार-बार हो जाती है ,तो यह लंबे समय तक व्यक्ति के जोड़ों को प्रभावित करते हैं। जिससे व्यक्ति को बेचैनी भी होने लगती है।
- गति की सीमा-जैसे-जैसे गाउट की समस्या बढ़ती जाती है, तो जोड़ों को सामान्य रूप से हिलाने में परेशानी होती हैं। जिससे चलने और उठने में बहुत तकलीफ होती है।
गठिया के कारण-
हाइपरयूरिसीमिया अर्थात रक्त में यूरिक एसिड की अधिकता गाउट का एक प्रमुख कारण है। यूरिक एसिड तब बनता है जब शरीर प्यूरीन नामक रसायन को तोड़ता है। मांस, पोल्ट्री और समुद्री भोजन का सेवन हाइपरयूरिसीमिया के प्रमुख कारण हैं क्योंकि इसमें उच्च स्तर की प्यूरीन होती है।
यूरिक एसिड रक्त में घुलनशील है और गुर्दे के माध्यम से मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है। जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक यूरिक एसिड का उत्पादन करता है या इसे पर्याप्त रूप से उत्सर्जित नहीं करता है। इस स्थिति में रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही यह यूरिक एसिड जोड़ों में इकठ्ठा हो जाता है। जो कुछ समय बाद वातरक्त का रूप ले लेता है। यह जोड़ों और आसपास के ऊतकों में सूजन और दर्द पैदा करताहै।
गाउट के जोखिम कारक-
शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाने वाले जोखिम कारक निम्नलिखित हैं
- गठिया का पारिवारिक इतिहास-यदि परिवार में कोई व्यक्ति इससे पीड़ित रह चुका होता है, उन लोगों में इसकी संभावना अधिक रहती है।
- दवाएं-कुछ लोगों को दवाईयों के दुष्प्रभाव से भी गाउट रोग हो जाता हैं। कुछ दवाएं गुर्दे की यूरिक एसिड को ठीक से हटाने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। इसमें मूत्रवर्धक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कुछ उच्च रक्तचाप की गोलियां होती हैं। जिसमें बीटा-ब्लॉकर्स और एसीई अवरोधक शामिल हैं।
- वजन-अधिक वजन वाले लोगों में गाउट होने की संभावना अधिक होती हैं। ऐसे लोगों का शरीर अधिक यूरिक एसिड पैदा करता है। जिससे गुर्दे को यूरिक एसिड से छुटकारा पाने में समय लगता है।
- आहार-रेड मीट और शेलफिश जैसे उच्च आहार और फ्रक्टोज यानी मीठे पेय पदार्थों का सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है। जिससे गाउट का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अधिक शराब के सेवन से भी गाउट होने का खतरा बना रहता है।
- हाल की सर्जरी या आघात-हाल ही में किए गए सर्जरी या आघात होने से कभी-कभी गठिया का दौरा पड़ सकता है।
कैसे करें गाउट का इलाज?
- एनएसएआईडी (NSAIDs) दर्द और सूजन को कम करते हैं। लेकिन गुर्दे की बीमारी, पेट की जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों को एनएसएआईडी का सेवन नही करने की सलाह दी जाती है।
- कोल्चिसिन सूजन और दर्द को कम करता है। इसलिए इसका सेवन गठिया के दौरे के 24 घंटों के अंदर लेना फायदेमंद होता है। इसे मौखिक रूप से दिया जाता है।
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दर्द और सूजन को कम करते हैं। इस स्टेरॉयड को मौखिक या इंजेक्शन रूप से दिया जाता हैं।
- एलोप्यूरिनॉल, पेग्लोटिकेज, फेबुक्सोस्टैट और प्रोबेनेसिड जैसी दवाएं गाउट के जोखिम को कम करती हैं।
कैसे करे गाउट की रोकथाम?
कुछ सावधानियां बरतकर गाउट को रोका जा सकता है-
- गुर्दे की कार्यक्षमता में सुधार और निर्जलीकरण से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- वजन को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
- मांस युक्त भोजन और शराब के सेवन से बचें।
- मूत्रवर्धक और इम्यूनोसप्रेसेन्ट जैसी दवाएं लेने से बचें क्योंकि यह यूरिक एसिड के स्तर को बढाती हैं।
गाउट के घरेलू उपचार-
- अदरक-अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो वातरक्त में यूरिक एसिड से संबंधित दर्द को कम करता है। इसके लिए एक कप अदरक की चाय पिएं। इसके अलावा ताजे अदरक को पीसकर एक कप पानी में उबालें। फिर इस मिश्रण में एक साफ कपड़ा भिगोकर 30 मिनट तक प्रभावित जोड़ों पर लगाएं। ऐसा करने से दर्द और सूजन से छुटकारा मिलता है।
- केला-केले में पोटैशियम का उच्च स्तर होता है जो गाउट को रोकने में मदद करता है। साथ ही केले में पर्याप्त मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है, जो शरीर से यूरिक एसिड को हटाने में मदद करता है।
- गुड़हल-गुड़हल यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में प्रभावी है। जिससे गाउट का खतरा कम होता है। ऐसे में इसे रोकने के लिए, गुड़हल से बने चाय का सेवन करें।
- सेब-सेब का सेवन करने से स्वाभाविक रूप से यूरिक एसिड के स्तर में कमी आती है। जिससे गाउट के लक्षणों को रोकने में मदद मिलती है।
- चेरी-चेरी में प्राकृतिक रूप से सूजनरोधी गुण मौजूद हैं जो वातरक्त से जुड़ी सूजन को आसानी से कम करने में सहायक होती हैं।
- अजमोदा -अजमोदा के बीज के अर्क को गाउट के घरेलू उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। दरअसल अजमोदा में ल्यूटोलिन नामक यौगिक होता है जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद करता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
यदि कोई व्यक्ति गंभीर दर्द, सूजन, लालिमा और गर्मी से जूझ रहा है, तो यह गाउट जैसी समस्या की ओर संकेत करता है। ऐसे में डॉक्टर को तुरंत दिखाएं। इसके अलावा कभी-कभी गाउट से पीड़ित होने पर व्यक्ति को निम्न-श्रेणी का बुखार हो सकता है। लेकिन उच्च तापमान संक्रमण का संकेत होने पर इसे बिना नजर अंदाज किए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।