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क्या होती है कालीजीरी? जानें, आयुर्वेद में इसके महत्व और फायदों के बारे में

क्या होती है कालीजीरी? जानें, आयुर्वेद में इसके महत्व और फायदों के बारे में

2022-03-17 12:38:34

कालीजीरी भृङ्गराज कुल की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। जो आकार में छोटी, स्वाद में कड़वी (तीखी) और तेज गंद्ध वाली होती है। इसलिए कालीजीरी को किसी भी तरह के भोजन बनाने में इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसको केवल दवा की तरह ही उपयोग किया जाता है। कालीजीरी को आयुर्वेद में सोमराजि, सोमराज, अरण्यजीरक,  तिक्तजीरक, वनजीरक, कृष्णफल आदि नाम से जानते हैं। वहीं अंग्रेजी इसे ब्लैक क्यूमिन (Black Cumin) कहा जाता है। लेकिन यह किसी भी तरह के जीरे और कलौंजी के परिवार से संबंध नहीं रखता हैं। कलौंजी को भी इंग्लिश में ब्लैक क्यूमिन कहते हैं। जिसका वानस्पतिक नाम निजेला सेटाइवा है। जो लैटिन शब्द नीजर (काला) से बना है। वहीं, कालीजीरी का वैज्ञानिक नाम, सेंट्राथरम ऐनथेलमिंटिकम (Centratherum Anthelminticum) है।

 

आयुर्वेद में कालीजीरी का महत्व-

कालीजीरी एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें कई तरह के पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। जो त्रिदोष (कफ, पित्त, वात) को शांत रखने में मदद करते हैं। साथ ही यह शरीर को रोगमुक्त भी करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक में कालीजीरी कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। इसमें शरीर से ख़राब कोलेस्ट्रॉल निकालने के भी गुण होते है। यह डायबिटीज को भी नियंत्रित रखती है। इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट भी होते है। जो कैंसर जैसी बीमारियों से शरीर को बचाते हैं। इसके सेवन से पेट के कीड़े, लिवर की समस्या, त्वचा संबंधित समस्या आदि कम होती हैं। अपने कड़वे एवं तीखे स्वाद के कारण ही इसे बेहतर उपाए के लिए जाना जाता है। इसलिए इसे आयुर्वेद में उत्तम दर्जें की औषधि माना गया है।

 

क्या हैं कालीजीरी के फायदे?

यह कुछ प्राकृतिक रसायनों में भी समृद्ध है जैसे- थॉमोक्विनोन, थेयमोल आदि। इसके अलावा इसमें और भी कई तत्व, विटामिन, क्रिस्टलीय निगेलोन, लोहा, सोडियम, पोटेशियम और फैटी एसिड से परिपूर्ण तत्व पाए जाते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक हैं।

 

कृमि संक्रमण से छुटकारा दिलाने में- 

कालीजीरी में कृमिनाशक एवं विरेचक गुण पाया जाता है। जो आंतों के कीड़ों को मारने और परजीवी संक्रमण से बचाने का काम करता है। इसके लिए इसके चूर्ण को अरंडी के तेल में मिलाकर सेवन करना फायदेमंद होता है।

 

त्वचा के लिए फायदेमंद-

कालीजीरी में रोगाणुरोधी और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं। यह त्वचा की स्थिति जैसे मुंहासे, एक्जिमा, सामान्य शुष्क त्वचा और सोरायसिस के इलाज में मदद करते हैं। इसके लिए कालीजीरी और काले तिल को बराबर मात्रा में लेकर सुबह व्यायाम करने के बाद सेवन करें। ऐसा करने से यह मुंहासे और मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है। साथ ही स्वाभाविक रूप से स्वच्छ, स्पष्ट, चिकनी और चमकदार त्वचा प्रदान करने में मदद करता है।

 

वजन को कम करने में लाभप्रद-

कालीजीरी में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। जो पेट के मोटापे को नियंत्रित रखने का काम करता है। दरअसल यह शरीर में फैट को जमने नहीं देता। परिणामस्वरूप मोटापा नहीं बढ़ पाता। इसके लिए कालीजीरी, अजवाइन और मेथी के चूर्ण का मिश्रण प्रतिदिन 3.5 ग्राम की मात्रा में भोजन के 1 से 2 घंटे बाद गर्म पानी के साथ सेवन करना उत्तम होता है। इसके अलावा यह मिश्रण एसिडिटी को कम करने और पाचन क्रिया को सुधारने में भी मदद करता है।

 

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में-

कालीजीरी में अधिक मात्रा में ऑक्सीकरणरोधी (antioxidant) पाया जाता है। जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण होने से बचाता हैं। जिससे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नहीं बढ़ती है। इसके अलावा एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर की कोशिकाओं को मुक्त कण (free-radicals) के कारण होने वाली क्षति से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। साथ ही यह ब्लड ट्राइगलिसराइड को कम कर दिल से संबंधित बीमारियों से भी बचाते हैं।

 

डायबिटीज (मधुमेह) को करे कंट्रोल-

कालीजीरी में मौजूद अग्नाशयी (पैंक्रियास) बीटा-कोशिकाएं कार्यप्रणाली को बढ़ाती है। इसके अलावा यह कम सीरम इंसुलिन सांद्रता को भी बढ़ाती हैं। साथ ही ऊंचा सीरम ग्लूकोज को घटाती हैं। जिस वजह से यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं।

 

कैंसर को रोकने में सहायक-

ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स के वजह से अनेक परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। जिनमें कैंसर भी शामिल है। चूंकि कालीजीरी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स की समस्या को कम करते हैं। इसके अतिरिक्त कालीजीरी में थॉमोक्विनोन पाए जाते हैं। जो शरीर में कैंसर को बढ़ने से रोकने में सहायता प्रदान करते हैं।

 

रक्त को साफ करने में सहायक-

शरीर में विषाक्त पदार्थों का समावेश होने पर उस क्रिया को खराब रक्त कहा जाता है। कालीजीरी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। जो विषैले कण को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करते हैं। इसके लिए कालीजीरी के चूर्ण का गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। ऐसा करने से विषैले कण मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। जिससे रक्त की शुद्धि होती है।  

 

सूजन के लिए-

कालीजीरी एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है। जो सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा कालीजीरी में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी सूजन को कम करने और रोकने में सहायता प्रदान करता है।

 

मां का दूध बढ़ाने हेतु-

कालीजीरी को गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए सर्वोत्तम माना जाता हैं। क्योंकि यह मां के स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाता हैं। इसके अलावा माताओं के शिशु जन्म उपरांत खोई हुई ताकत और स्फूर्ति को वापस लाने में भी मदद करता है।
 

कालीजीरी के नुकसान-

  • कालीजीरी की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन, पाचन संबंधी समस्या और हार्ट बर्न का कारण बन सकता है।
  • वातहर प्रभाव की वजह से इसका अधिक सेवन डकार, मतली आदि का कारण बन सकता है।
  • अतिसंवेदनशीलता (हाइपर-सेंसिटिविटी) वाले व्यक्तियों को कालीजीरी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को कालीजीरी के अधिक सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसका सेवन ज्यादा मात्रा में करने से गर्भपात या समय से पहले डिलीवरी होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • किसी भी प्रकार की दवाइयों का सेवन करते समय चिकित्सक के परामर्शानुसार ही कालीजीरी का सेवन करें।

Disclaimer

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