क्या है निपाह वायरस? जानें लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
2023-10-13 00:00:00
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस का पता पहली बार 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई में प्रकोप के दौरान चला था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निपाह को एक जूनोटिक वायरस बताया है जो मूल रूप से जानवरों से इंसानों में ट्रांसमिट होता है। वायरस दूषित भोजन या सीधे लोगों के बीच से भी पहुंच सकता है। अब तक, एशिया में निपाह वायरस कुछ ही प्रकोप की वजह बना है, जिसने इंसानों और दूसरे जानवरों जैसे सूअरों दोनों को प्रभावित किया है। निपाह वायरस का प्रसार फ्रूट बैट के लार से होता है। अमेरिकी सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक, वायरस का मूल जानवर हैं लेकिन संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से इंसानों में भी बीमारी फैल सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि निपाह जैसे वायरस भारत में लंबे समय तक चमगादड़ों के सह अस्तित्व हो सकते है। डॉक्टर नमीर पीओ ने फर्स्टपोस्ट को पहले प्रकोप के दौरान बताया था, "फ्रूट बैट के सिस्टम में निपाह जैसे वायरस हमेशा रहे हैं। उन्होंने वर्षों से साथ-साथ विकास किया है। इस तरह की बीमारी उस वक्त खतरनाक हो जाती है जब जानवर तनाव में हो। तनाव आवास की कमी, जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण हो सकता है। इसलिए, जब जानवर तनाव का सामना करता है, तो इस तरह के वायरस सामने आते हैं। दूसरे शब्दों में, वायरस जानवर से बाहर निकल जाते हैं।"
निपाह वायरस के लक्षण
- कफ के साथ लगातार बुखार आना और सांस लेने में तकलीफ
- सांस की नली में खतरनाक संक्रमण
- बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उलटी, गले में खराश, थकान, नींद की समस्या
- इनसेफ्लाइटिस के लक्षण भी दिख सकते हैं
- खतरनाक केस में मरीज को निमोनिया के लक्षण दिख सकते हैं| ये लक्षण बीमार होने के 24 से 48 घंटे बाद दिख सकते हैं। निपाह वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड 5-14 दिन से लेकर 45 दिन का हो सकता है।
निपाह वायरस की जांच
इसकी जांच भी कोरोना वायरस की तरह ही होती है। यानी कोरोना में जैसे रियल टाइम पॉलिमरेज चेन रिएक्शन या RTPCR टेस्ट होता है, वैसे ही निपाह वायरस के लिए यही टेस्ट किया जाता है। इसके लिए खून के नमूने लिए जाते हैं या शरीर के अन्य फ्लूइड से भी जांच हो सकती है, जैसे बलगम आदि से। इसमें एंटीबॉडी टेस्ट के लिए एलिजा भी किया जाता है।
कैसे फैलता है निपाह वायरस
संक्रमित सूअर, चमगादड़ या संक्रमित इंसानों से भी nipah virus फैल सकता है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की गाइडलाइंस में बताया गया है कि अगर चमगादड़ ने किसी फल को संक्रमित किया है और उसे खाया जाता है तो निपाह फैल सकता है। इसके लिए फल लदे पेड़-पौधों से बचने की सलाह दी गई है। खजूर के फल या ताड़ी से बचने की सलाह दी गई है। अगर निपाह से किसी की मौत होती है तो उसका मृत शरीर भी संक्रमण फैला सकात है। इसे देखते हुए मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार में भी एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है।
निपाह से बचने का उपाय
- साबुन और पानी से हमेशा हाथ धोते रहें
- कच्चे खजूर के फल खाने और उसके रस (ताड़ी) को पीने से बचें
- फल खाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें
- बीमार पशुओं या जानवरों को संभालते हैं तो हाथ में दस्ताने और फेस मास्क लगाकर ही ऐसे काम करें
निपाह वायरस का इलाज
निपाह वायरस के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी। निपाह वायरस से अगर सांस की बीमारी या अन्य परेशानी होती है तो सपोर्टिव ट्रीटमेंट दे सकते हैं। इस बीमारी में तंत्रिका तंत्र पर बड़ा असर देखा जाता है, इसलिए इससे जुड़े लक्षणों की पहचान और इलाज जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह के कुछ मरीजों में इनसेफ्लाइटिंस के लक्षण दिख सकते हैं जिसका समय पर इलाज जरूरी है।