निर्गुंडी क्या है? जानें, इसके फायदे और उपयोग
2022-05-24 11:59:56
प्रकृति ने हमें कई ऐसी जड़ी-बूटियां प्रदान की हैं। जो शरीर को स्वस्थ्य रखने एवं कई तरह के रोगों से बचाने का काम करते हैं। उन्हीं में से एक निर्गुंडी भी है। जो एक प्रकृति प्रदत्त जड़ी-बूटी है। सदियों से आयुर्वेद में इसकी जड़, पत्तियों, फलों और बीजों का इस्तेमाल अनेक बीमारियों से बचने के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद में निर्गुंडी का मतलब शरीर को रोगों से बचाना होता है। इसका इस्तेमाल आतंरिक एवं बाहरी दोनों रूपों में किया जाता है। इससे बने चूर्ण या काढ़े का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा निर्गुंडी के पौधे में कई तरह के बायोएक्टिव कंपाउंड अच्छी मात्रा पाए जाते हैं, जो कई रोगों के इलाज के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग दर्द एवं सूजन को कम करने, मधुमेह को ठीक करने, यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, त्वचा को स्वस्थ बनाने, गठिया और अस्थमा आदि का इलाज करने के लिए किया जाता है। इन्हीं सभी गुणों के कारण निर्गुंडी को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक औषधि माना गया है।
क्या है निर्गुंडी?
निर्गुंडी एक प्रकार का औषधीय पौधा है। यह एक तरह की झाड़ी होती है, जो पूरे भारत में पाई जाती है। इस पौधे का वानस्पतिक नाम विटेक्स नेगुंडो (Vitex Negundo) है। इसके फूल सफेद, नीले और काले रंग के होते हैं। इसकी कई जातियां पाई जाती हैं, लेकिन आयुर्वेद में ज्यादातर नीले और सफेद वाले फूल के पौधे का उपयोग औषधीय के रूप में किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है। इसे हिन्दी में निर्गुंडी या संभालू, संस्कृत में नीलपुष्पा और अंग्रेजी में चेस्ट ट्री (Chaste Tree) कहा जाता है। आमतौर पर निर्गुंडी का पौधा मध्य एशिया और भूमध्य सागर में पाया जाता है।
निर्गुंडी के फायदे-
सूजन को कम करने में कारगर-
निर्गुंडी चूर्ण में विभिन्न तत्व मौजूद हैं। जो गठिया या अन्य किसी वजह से होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक, निर्गुंडी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद है। जो सूजन को कम करने में कारगर होते है। इसके लिए निर्गुंडी चूर्ण से बने काढ़े का सेवन करें। ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक करने से सूजन और दर्द में काफी राहत मिलता है। इस प्रकार से निर्गुंडी का सेवन गठिया के लिए भी उपयोगी माना गया है। इसके अलावा निर्गुंडी की पत्तियों से निकाले गए रस को हल्का गर्म करके प्रभावित जगहों पर लगाने से भी आराम पहुंचता है।
सिर दर्द एवं माइग्रेन की समस्या में असरदार-
सिर दर्द, माइग्रेन एवं अन्य मस्तिष्क संबंधी विकारों को दूर करने के लिए निर्गुंडी का उपयोग परंपरागत तौर पर सालों से किया जाता रहा है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। वहीं, इस पर किए गए एक शोध से पता चलता है कि इसकी पत्तियों में एनाल्जेसिक प्रभाव पाया जाता है। यह प्रभाव सिरदर्द एवं माइग्रेन संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। इसके लिए निर्गुंडी की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस लेप को माथे पर लगाने से लाभ मिलता है। इसके अलावा निर्गुंडी के सूखे पत्तियों से धूनी करके और उसे सूंघने से इस समस्या में आराम मिलता है।
मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक-
मासिक धर्म को नियमित करने में निर्गुंडी का सेवन करना लाभकारी होता है। क्योंकि यह कई प्रकार के तत्वों से भरपूर है। इस विषय में किए गए रिसर्च के मुताबिक,निर्गुंडी की पत्तों में ओलिगोमेनोरिया (Oligomenorrhea) की स्थिति को ठीक करने का गुण पाया जाता है। दरअसल ऑलिगोमेनोरिया का मतलब मासिक धर्म का अनियमित एवं रक्त का प्रवाह सामान्य न होने से है।
बांझपन में लाभदायक-
बांझपन जैसी समस्या में निर्गुंडी प्रभावी रूप से औषधि की तरह काम करती है। इस पर किए गए एक शोध के मुताबिक, निर्गुंडी में एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में कारगर होता है। साथ ही स्पर्म यानी शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बेहतर करता है। इसके लिए मासिक धर्म खत्म होने के बाद पहले दिन से निर्गुंडी से बने काढ़े में गोखरू का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से महिला गर्भधारण के योग्य हो जाती है।
यौन स्वास्थ्य-
निर्गुंडी का उपयोग अच्छे यौन स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है। दरअसल, निर्गुंडी में उत्तेजक गुण पाए जाते हैं। जो कामेच्छा को बढ़ाकर इजेकुलेशन (वीर्य स्खलन) को धीमा करते हैं। एक शोध के मुताबिक, यह पुरुषों की यौन क्षमता और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को बेहतर करता है।
स्तनपान के लिए-
निर्गुंडी का सेवन माताओं के स्तनों का दूध बढ़ाने में लाभप्रद होता है। एक शोध के मुताबिक, निर्गुंडी के पत्तों का उपयोग स्तनों में दूध की वृद्धि में सहायक होती है।
खांसी एवं श्वसन विकारों में लाभप्रद-
निर्गुंडी खांसी, अस्थमा एवं अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए प्रभावी औषधि मानी जाती है। इसलिए इसका नियमित इस्तेमाल से ब्रोन्कियल ट्यूब (श्वसन नलियों) में मौजूद कैटरल (श्लेष्म या म्यूकस) पदार्थ और कफ को हटाने में सहायक होती है। जिससे खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्या कुछ हद तक ठीक हो जाती है। इसके लिए निर्गुंडी के पत्तियों से बने हर्बल चाय का सेवन करें। ऐसा करने से फेफड़ों से बलगम साफ होती है और श्वसन संबंधी समस्या दूर होती है। इसके अलावा निर्गुंडी के पत्तों के रस को दूध के साथ सुबह-शाम लेने से खांसी की समस्या दूर होती है।
घाव भरने में कारगर-
निर्गुंडी घाव भरने के लिए कारगर उपायों में से एक है। इस पौधे के लगभग सभी हिस्सों का उपयोग आयुर्वेद में घाव भरने के लिए किया जाता है। दरअसल इसमें हीलिंग गुण पाए जाते हैं, जो घावों को भरने में मदद करते हैं। साथ ही निर्गुंडी एंटीबैक्टीरियल प्रभाव से समृद्ध है, जो घाव में पनपने वाले बैक्टीरिया का खात्मा करते हैं। इसके लिए निर्गुंडी के पत्तों का लेप या तेल को प्रभावित स्थानों पर लगाएं।
त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभप्रद-
निर्गुंडी का उपयोग त्वचा संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने का काम करते हैं। दरअसल इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि बढ़ती उम्र के लक्षणों में सुधार करता है। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाला एंटी बैक्टीरियल गुण स्किन अल्सर और एलर्जी को भी ठीक करता है। इसके लिए निर्गुंडी से बने तेल या पेस्ट को अल्सर एवं फोड़े-फुंसी जैसी जगहों पर लगाने से आराम मिलता है। इसके अलावा निर्गुंडी तेल से प्रभावित्त अंगों की मालिश करने से सभी प्रकार के त्वचा संबंधी विकार ठीक होते हैं। यह रक्त को शुद्ध करके त्वचा को युवा बनाने का काम करता है।
बालों के लिए लाभप्रद-
निर्गुंडी में मौजूद पोषक तत्व बालों के ग्रोथ और मजबूती को बनाए रखते हैं। इसके लिए निर्गुंडी तेल की कुछ बूंदो को नारियल तेल में मिलाकर बालों पर लगाएं। ऐसा करने से यह बालों की जड़ों को पोषण देकर बालों को पुनर्जीवित करता है और बालों को गिरने या झड़ने से बचाता है। साथ ही रुसी से निजात दिलाता है।
निर्गुंडी के उपयोग-
- निर्गुंडी का उपयोग चूर्ण या टेबलेट के रूप में किया जाता है।
- इसको काढ़े या हर्बल चाय के रूप में सेवन किया जाता है।
- निर्गुंडी के उबले पानी का उपयोग प्रसव होने के बाद स्नान करने के लिए किया जाता है।
- इसके पत्तों से बने पेस्ट को फोड़े-फुंसिया वाली जगहों पर लेप के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- पेशाब में जलन एवं मूत्र संबंधी अन्य समस्याओं में निर्गुंडी के अर्क को नारियल पानी के साथ उपयोग कर सकते हैं।
- सर्दी-जुकाम, सिरदर्द एवं बुखार होने पर इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर भाप लिया जाता है।
निर्गुंडी के नुकसान-
- पित्त (गर्म) प्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से सिरदर्द, जलन एवं किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है।
- इसका सेवन हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के प्रभाव को कम करता है।
- स्तनपान कराने वाली माताओं को इसका सीमित मात्रा में सेवन करें। अन्यथा स्तन का दूध कम हो सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन से बचें।