ऑस्टियोआर्थराइटिस को दूर करने में रामबाण हैं ये घरेलू नुस्ख़े
2024-09-06 12:46:58
ऑस्टियोआर्थराइटिस क्या है?
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) जोड़ों का एक आम और दीर्घकालिक रोग है, जिसे अक्सर “आर्थराइटिस” या “जोड़ों का दर्द” के रूप में भी जाना जाता है। यह रोग मुख्यतः उम्र बढ़ने के साथ होता है और इसमें जोड़ों के कार्टिलेज (Cartilage) का धीरे-धीरे क्षय होता है। कार्टिलेज एक लचीला, रबड़ जैसा पदार्थ होता है जो जोड़ों के बीच कुशन का काम करता है, जिससे हड्डियों का आपस में घर्षण नहीं होता और जोड़ों की गतिशीलता बनी रहती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस मुख्यतः घुटनों, कूल्हों, हाथों और रीढ़ में प्रभावित करता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस होने के कारण
ऑस्टियोआर्थराइटिस के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:-
उम्र:
उम्र बढ़ने के साथ-साथ कार्टिलेज का प्राकृतिक रूप से कम होना सामान्य है। यह कारण 50 वर्ष की आयु के बाद अधिक आम होता है।
वजन:
अधिक वजन होने से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे कार्टिलेज तेजी से घिसता है। मोटापे के कारण घुटनों और कूल्हों में ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
जोड़ों की चोट:
पिछले में हुए किसी चोट या फ्रैक्चर के कारण जोड़ों में ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित हो सकता है। यह अक्सर खेल-कूद या दुर्घटनाओं के कारण होता है।
अनुवांशिकता:
कुछ लोगों में यह रोग वंशानुगत हो सकता है। अगर परिवार में किसी को ऑस्टियोआर्थराइटिस है, तो आपको इसका खतरा अधिक हो सकता है।
कार्य या खेल:
लंबे समय तक किसी विशेष प्रकार के कार्य या खेल में शामिल होने से जोड़ों पर बार-बार दबाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, लगातार घुटनों पर काम करने वाले या भारी वजन उठाने वाले लोग।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:-
जोड़ों में दर्द:
विशेषकर गतिविधि के दौरान या बाद में दर्द होता है। यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है और आराम करने पर कम हो सकता है।
जोड़ों में कठोरता:
खासकर सुबह के समय या लंबे समय तक बैठे रहने के बाद। कठोरता आमतौर पर आधे घंटे से कम समय में ठीक हो जाती है।
जोड़ों में सूजन:
जोड़ों के आसपास सूजन या जलन होना। सूजन के कारण जोड़ों में गर्मी और लालिमा भी हो सकती है।
गतिशीलता में कमी:
जोड़ों की सामान्य गतिशीलता में कमी आना। यह प्रभावित जोड़ की मूवमेंट को सीमित कर सकता है।
हड्डियों की घिसावट की आवाज:
जोड़ों को हिलाने पर घिसावट की आवाज आना। इसे “क्रेपिटस” कहा जाता है और यह कार्टिलेज के क्षय के कारण होता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस की जांच
ऑस्टियोआर्थराइटिस की पुष्टि के लिए निम्नलिखित जांचें की जा सकती हैं:
शारीरिक परीक्षा:
डॉक्टर द्वारा जोड़ों की जांच करना और लक्षणों का मूल्यांकन करना। यह जांच चलने, उठने-बैठने और जोड़ों की गति को परखने पर आधारित हो सकती है।
एक्स-रे:
जोड़ों के अंदर की स्थिति देखने के लिए एक्स-रे किया जाता है। इससे हड्डियों के बीच के गैप, हड्डियों की स्पर और कार्टिलेज की कमी का पता लगाया जा सकता है।
एमआरआई:
अगर एक्स-रे पर्याप्त जानकारी नहीं देता तो एमआरआई की मदद ली जा सकती है। एमआरआई कार्टिलेज, मांसपेशियों और अन्य नरम ऊतकों की स्थिति की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
रक्त परीक्षण:
विभिन्न प्रकार के आर्थराइटिस का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, रूमेटोइड आर्थराइटिस की पहचान के लिए।
जोड़ों के तरल की जांच:
जोड़ों से तरल निकालकर उसकी जांच की जाती है। यह जांच संक्रमण या अन्य कारणों को पहचानने में मदद करती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज
ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं:
दवाएं:
दर्द निवारक दवाएं जैसे पैरासिटामोल। ये दवाएं दर्द को कम करती हैं लेकिन सूजन को नहीं।
सूजन और दर्द कम करने वाली दवाएं जैसे इबुप्रोफेन। ये दवाएं सूजन और दर्द दोनों को कम करती हैं।
गंभीर सूजन के मामलों में। इन्हें सीधे जोड़ में इंजेक्ट किया जा सकता है।
फिजिकल थैरेपी:
जोड़ों की गतिशीलता बढ़ाने और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए विशेष व्यायाम। फिजिकल थैरेपिस्ट द्वारा डिजाइन किए गए व्यायाम कार्यक्रम दर्द को कम करने और जोड़ों की ताकत और लचीलापन बढ़ाने में मदद करते हैं।
पानी में किए जाने वाले व्यायाम। पानी के भीतर व्यायाम जोड़ों पर कम दबाव डालते हैं और दर्द रहित होते हैं।
जूते में डाले जाने वाले विशेष इंसोल्स। ये इंसोल्स चलने और खड़े होने के दौरान जोड़ों पर दबाव कम करते हैं।
छड़ी या वॉकर का उपयोग। ये उपकरण चलते समय जोड़ों पर दबाव कम करते हैं और संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
शल्य चिकित्सा:
गंभीर मामलों में घिसे हुए जोड़ को बदलना। इसमें कूल्हे, घुटने या अन्य जोड़ों की रिप्लेसमेंट सर्जरी शामिल होती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए घरेलू उपचार
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ घरेलू उपाय रामबाण साबित हो सकते हैं:-
गर्म और ठंडे सेंक:
जोड़ों पर गर्म या ठंडे सेंक का उपयोग करने से दर्द और सूजन में राहत मिल सकती है। गर्म सेंक से मांसपेशियों की कठोरता कम होती है और ठंडे सेंक से सूजन और दर्द कम होता है।
वजन प्रबंधन:
स्वस्थ वजन बनाए रखना, जिससे जोड़ों पर दबाव कम हो। वजन कम करने से घुटनों और कूल्हों पर पड़ने वाले दबाव में कमी आती है।
संतुलित आहार:
विटामिन डी, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार। मछली, नट्स, फल, और सब्जियों का सेवन करना इसमें बेहद फायदेमंद होता है।
योग
शरीर का लचीलापन और संतुलन बढ़ाने के लिए ये फायदेमंद होता है। ये मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और तनाव को कम करते हैं।
हल्दी:
अपने प्राकृतिक सूजनरोधी गुणों के लिए जानी जाने वाली हल्दी का सेवन दूध या चाय में मिलाकर करना ऑस्टियोआर्थराइटिस में रामबाण नुस्खा है।
निष्कर्ष
ऑस्टियोआर्थराइटिस एक दीर्घकालिक और दर्दनाक रोग है, लेकिन सही देखभाल, उपचार और जीवनशैली में बदलाव के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है। प्रारंभिक लक्षणों को पहचानना और त्वरित इलाज कराना महत्वपूर्ण है ताकि जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखा जा सके। यदि आप ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण महसूस करते हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और उचित उपचार प्राप्त करें। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव और सही उपचार से आप इस रोग के प्रभाव को कम कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखद बना सकते हैं।
संदर्भ
- Mayo Clinic. "Osteoarthritis." Retrieved from Mayo Clinic.
- Arthritis Foundation. "Osteoarthritis Symptoms." Retrieved from Arthritis Foundation.
- WebMD. "Osteoarthritis." Retrieved from
- [WebMD](https://www.webmd.com/osteoarthritis/osteo