पद्मासन क्या है?
2022-06-14 00:00:00
पद्मासन एक तरह का बैठकर करने वाला योगाभ्यास है। इसकी उत्पत्ति संस्कृत शब्द पद्म यानी कमल का फूल और आसन को मिलाकर की गई है। है। जिसका शाब्दिक अभिप्राय यह है कि इस आसन के दौरान व्यक्ति का शरीर कमल के आकृति जैसा हो जाती है। भारतीय संस्कृति में कमल का धार्मिक रूप से अधिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि पद्मासन मुद्रा में बैठे रहने से व्यक्ति के कई शारीरिक और मानसिक समस्याएं दूर होती है।
पद्मासन योग करने का तरीका-
-
सबसे पहले चटाई या दरी बिछाकर पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
-
श्वास अंदर लेते हुए अपनी कमर और गर्दन को सीधा रखें।
-
उसके बाद सांस को अंदर लें और अपने दाएं पैर को मोड़ कर उसकी एड़ी को बाईं जांघ पर इस प्रकार रखें कि एड़ी नाभि के पास आ जाएं।
-
इसी तरह दूसरे पैर को उठाकर दाई जांघ पर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियां नाभि के पास आपस में मिल जाएं।
-
ध्यान दें की दोनों पैरो के घुटने जमीन से Vरहें।
-
इस दौरान अपनी कोहनियों को सीधा रखें।
-
अब इस मुद्रा में कुछ देर या अपनी क्षमता अनुसार बैठे रहें।
-
इस आसन में सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को सामान्यतः जारी रखें।
पद्मासन करने के फायदे-
-
इस आसन को करने से घुटनों और कूल्हों के जोड़ों का लचीलापन बढ़ता है।
-
यह आसन घुटनों और टखनों में खिंचाव उत्पन्न करके मजबूती प्रदान करता है।
-
यह आसन मन को शांति प्रदान करता है।
-
यह पाचन तंत्र को ठीक करता है।
-
इसके निरंतर अभ्यास से स्मरण शक्ति और विचार की भावना में बढ़ोतरी होती है।
-
यह आसन पेट और मूत्राशय को उत्तेजित करता है।
-
शारीरिक थकान को दूर करने और बेहतर नींद लाने में मदद करता है।
-
यह आसन मासिक धर्म और साइटिका के दौरान होने वाले तकलीफ को दूर करने में सहायता करता है।
-
गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से इस मुद्रा में बैठने से प्रसव आसानी से हो जाता है। साथ ही इस दौरान होने वाली पीड़ा भी कम होती है।
-
पौराणिक कथाओं के अनुसार पद्मासन के नियमित अभ्यास से सभी तरह के रोग ठीक होते हैं। साथ ही यह कुंडलिनी को जागृत भी करता है।
पद्मासन करते समय बरतें यह सावधानियां-
-
पहली बार पद्मासन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
-
घुटनों या टखनों के दर्द से पीड़ित व्यक्ति इसका अभ्यास न करें।
-
गर्भवती महिलाऐं भी किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में पद्मासन करें।