पश्चिमोत्तानासन क्या है? जानें, इसके नियम और फायदे
2022-06-07 00:00:00
पश्चिमोत्तानासन संस्कृत भाषा के दो शब्दों पश्चिम और उत्तान से मिलकर बना है। पश्चिम का शाब्दिक अर्थ यानी पश्चिम दिशा अर्थात शरीर का पिछला हिस्सा और उत्तान का मतलब खींचना होता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो पश्चिमोत्तानासन में शरीर के पिछले हिस्सों में खिंचाव करना पड़ता है। दरअसल, पश्चिमोत्तानासन बैठकर आगे झुकने वाला योगाभ्यास है। जिसमें शरीर के पहले यानी ऊपरी हिस्से को आगे की ओर मोड़ा जाता है। इसलिए इस आसन को अंग्रेजी में सीटेड फॉरवर्ड बेंड पोज (Seated Forward bend pose) कहा जाता है।
पश्चिमोत्तानासन हठ योग के श्रेणी में आने वाली एक क्लासिक मुद्रा है। यह मुद्रा सिर से लेकर पैर अर्थात पूरे शरीर तक फैली हुई है। शायद इसलिए इस मुद्रा को पश्चिमोत्तासन के नाम से जाना जाता है। यह मुद्रा पिंडली, हैमस्ट्रिंग (जांघ के पीछे) और रीढ़ के हड्डी को अच्छा स्ट्रेच प्रदान करती है। इसके अलावा पश्चिमोत्तासन के निरंतर अभ्यास से कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका-
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सर्वप्रथम खुले वातावरण या साफ जगह का चुनाव करें।
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अब चयनित जगह पर चटाई या दरी बिछाकर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
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इसके बाद धीरे-धीरे सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को सीधा करें। इस दौरान हाथों को सीधा ऊपर उठाकर जोड़ लें।
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अब धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए कुल्हें की जोड़ों से जितना संभव हो आगे की ओर झुकाएं। साथ ही अपने दृष्टि को पंजों की ओर केंद्रित करें।
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इसके बाद अपने दोनों हाथों से पैर की तलवों और नाक से घुटने को छूने की कोशिश करें। ध्यान रखें इस दौरान जबरदस्ती न करें जितना संभव हो उतना ही खिंचाव डालें।
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अब 5-10 मिनट तक या अपनी क्षमतानुसार इस मुद्रा में बने रहें।
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पुनः सांस लें और अपने मूल अवस्था में आ जाएं।
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ऐसा प्रतिदिन कम से कम 4-5 बार करें।
पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे-
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यह रीढ़ की हड्डी, जांघों और नितंबों के लिए एक सर्वश्रेष्ठ व्यायाम माना जाता है।
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पश्चिमोत्तानासन पीठ, कमर और कंधों को मजबूत और लचीला बनाता है।
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इस योगाभ्यास से पेट की मांसपेशियों का मसाज होता है।
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यह बैक पेन या कमर दर्द और हैमस्ट्रिंग के जकड़न से राहत दिलाता है।
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यह योग लीवर, किडनी, गर्भाशय और अंडाशय में सुधार करता है।
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इसके नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।
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इसके योगाभ्यास से मासिक धर्म के दौरान होने वाली कठिनाइयों और रजोनिवृति के लक्षण दूर होते हैं।
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यह चिंता, तनाव और हल्के अवसाद को कम करता है।
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यह व्यायाम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
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मधुमेह के रोगियों के लिए यह योग एक औषधि की तरह काम करता है। यह शुगर को नियंत्रित करने में बेहद लाभदायक है।
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योगग्रंथों के मुताबिक, पश्चिमोत्तानासन के नियमित अभ्यास से वजन कम होता है। इसके अलावा कई अन्य समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित होता है।
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यह आसन अनिद्रा, साइनस आदि समस्याओं में मददगार हैं।
पश्चिमोत्तानासन करते समय बरतें यह सावधानियां-
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इस योगासन को करते समय शरीर पर अपनी क्षमता से अधिक दबाव न बनाएं।
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योग हमेशा खाली पेट ही करें।
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पहली बार योग का अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें।
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यदि हैमस्ट्रिंग और पीठ के निचले हिस्सों में दर्द या चोट हो तो इस स्थिति में पश्चिमोत्तानासन न करें।
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यदि कोई दमा या दस्त से पीड़ित हो तो वह लोग इस योगाभ्यास से बचें।