Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

पाषाणभेद क्या है? जानें, इसके फायदे और उपयोग

पाषाणभेद क्या है? जानें, इसके फायदे और उपयोग

2022-11-30 00:00:00

पाषाणभेद एक लोकप्रिय भारतीय औषधि है। जिसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में औषधि के रूप में किया जाता है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला है 'पाषाण' जिसका शाब्दिक अर्थ पत्थर और दूसरा है 'भेद' जिसका मतलब तोडना या कुचलना होता है। इस प्रकार इस औषधि का शाब्दिक अर्थ पत्थरों को तोड़ देना होता है। अर्थात यह शरीर से पत्थर (गुर्दे की पथरी) को निकालता है। यहीं इसका प्रमुख गुण है जिसके कारण आयुर्वेद में पाषाणभेद एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी के नाम से जानी जाती है।

पाषाणभेद एक रसीली बारहमासी जड़ी बूटी है, जो लगभग 50 सेमी तक लंबी होती है। इसकी पत्तियों की लंबाई फूल आने पर 5-15 सेमी लंबी और आकार में गोल या अंडाकार होती हैं। इसके फूल 3.2 सेंटीमीटर व्यास के, सफेद एवं गुलाबी रंग के होते हैं। इसके बीजों का आकार पिरामिड की तरह होता है। आयुर्वेद में पाषाणभेद की जड़ों और पत्तियों को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम बर्गनिया लिगुलाटा है।

पाषाणभेद का महत्व

आयुर्वेद में पाषाणभेद अपने मूत्रवर्धक, एंटी इंफ्लेमेंटरी, एंटीलिथिक, एंटीवायरल, एंटी बैक्टीरियल, एनाल्जेसिक, यकृत सुरक्षात्मक, ज्वरनाशक, रेचक और कामोत्तेजक गुणों के लिए उपयोगी है। यह सभी गुण गुर्दे की पथरी, बुखार, खांसी, अल्सर, रक्तचाप रोगों के इलाज में मदद करता है।

पाषाणभेद के फायदे

गुर्दे की पथरी के इलाज में कारगर

गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए पाषाणभेद का सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। दरअसल इसमें एंटीयूरोलिथियेटिक गुण मौजूद होते हैं, जो आसानी से गुर्दे की पथरी को तोड़ कर बाहर निकालता है। इसके अलावा पाषाणभेद गुर्दे में पथरी बनने से रोकती भी है।

बुखार में उपयोगी

पाषाणभेद बुखार को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्योंकि यह एंटी पाइरेटिक गुणों से भरपूर हैं। यह शरीर में पसीने को प्रेरित करके शरीर के तापमान को सामान्य करने में मदद करती है। इस प्रकार पाषाणभेद का सेवन बुखार से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयोगी होती है।

अल्सर में लाभदायक

अल्सर एवं अन्य मौखिक समस्याओं के लिए पाषाणभेद लाभदायक साबित होती है। इसमें पाए जाने वाला साइटोप्रोटेक्टिव गुण शरीर को हानिकारक विषाक्त पदार्थों से बचाता है। जिससे अल्सर को रोकने और उसका इलाज करने में मदद मिलती है।

घाव भरने में सहायक

पाषाणभेद की जड़ों में कसैले और ठंडक देने वाले गुण होते हैं। यह सभी गुण बाहरी रूप से होने वाले रक्तस्राव, सूजन और घावों को ठीक करते हैं। इसके अलावा पाषाणभेद में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण जीवाणुओं को नष्ट करते हैं। इस प्रकार यह घावों को ठीक करने के लिए लाभदायक है।

मधुमेह को नियंत्रण करने में सहायक-

पाषाणभेद की जड़ों में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं। यह गुण मधुमेह रोगियों के इलाज में सहायक होते हैं। यह व्यक्ति में ग्लूकोज के स्तर को कम करता है। इस तरह पाषाणभेद रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करके मधुमेह को नियंत्रण में रखने में मदद करती है।

खांसी ठीक करने में लाभप्रद

पाषाणभेद में एंटीट्यूसिव गुण मौजूद हैं, जो फेफड़ों से खराब विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करते हैं। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में आसानी होती है। इन गुणों के कारण, पाषाणभेद खांसी या अन्य श्वसन पथ के संक्रमण को रोकने या ठीक करने में लाभकारी होती है।

बवासीर के इलाज में असरदार-

पाषाणभेद की जड़ों में रेचक और शीतलन गुण पाए जाते हैं। यह बवासीर का कारण बनने वाली लगातार कब्ज को रोकने में मदद करते हैं।

पाषाणभेद के उपयोग

  • पाषाणभेद पौधे की जड़ों को पीसकर शहद के साथ उन बच्चों को दिया जाता है जिनके दांत टूट गए हैं।
  • सूखे पाषाणभेद की जड़ का लेप घाव, फोड़े और जलन को ठीक करने के लिए बाहरी रूप से किया जाता है।
  • आंतों के परजीवी और राउंडवॉर्म को ठीक करने के लिए पाषाणभेद का रस या जड़ का पेस्ट का सेवन किया जाता है।
  • पाषाणभेद की ताजे जड़ों का काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र पथ के संक्रमण और पेट के विकार ठीक होते हैं।
  • पाषाणभेद की जड़ का चूर्ण बुखार के इलाज में कारगर है।
  • पाषाणभेद के पत्तों से निकाले गए रस को कान दर्द के इलाज के लिए किया जाता है।
  • इस पौधे की जड़ों से बना पेस्ट कब्ज के इलाज में मदद करता है।

पाषाणभेद के नुकसान

चूंकि पाषाणभेद के राइज़ोम एसीटोन अर्क को उच्च खुराक में कार्डियोटॉक्सिक के रूप में जाना जाता है। इसलिए इसका केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर एक अवसाद प्रभाव पड़ता है।

यह कहां पाया जाता है?

आमतौर पर पाषाणभेद हिमालय, अफगानिस्तान, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, भूटान और दक्षिण तिब्बत के नम क्षेत्रों में पाया जाता है।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: