पुनर्नवा क्या हैं? जानें, इसके फायदे और उपयोग
2022-03-17 11:36:37
पुनर्नवा एक जड़ी-बूटी है। पुरातनकाल से आयुर्वेद में इसकी जड़, पत्तियों, फलों और बीजों का इस्तेमाल अनेक बीमारियों से बचने के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद में पुनर्नवा का मतलब शरीर को ऊर्जावान बनाना होता है। इससे बने चूर्ण या काढ़े का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा पुनर्नवा के पौधे में हाइड्रोक्लोराइड और पोटैशियम नाइट्रेट का प्रचुर मात्रा पाए जाते हैं, जो कई रोगों के इलाज के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग रक्तचाप को नियंत्रित करने, मधुमेह को ठीक करने, यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, त्वचा को स्वस्थ बनाने, गठिया और अस्थमा आदि का इलाज करने के लिए किया जाता है। इन्हीं सभी गुणों कीवजह से पुनर्नवा को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक औषधि माना गया है।
क्या है पुनर्नवा?
पुनर्नवा एक प्रकार का औषधीय पौधा है, जो हर साल गर्मियों में सूख जाता है और बरसात के मौसम में खिल उठता है। यह पौधा नाइसटैजिनेसी (Nyctaginaceae) परिवार से संबंध रखता है। जिसका वानस्पतिक नाम बोअरहेविया डिफ्यूजा (Boerhavia Diffusa) है। इसके फूल सफेद, लाल और हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। इसके तने (बेल) जामुनी रंग के होते हैं। पुनर्नवा के पत्ते हरे और किनारों से गोल होते हैं। यह स्वाद में कड़वा होता है। आमतौर पर पुनर्नवा भारत, म्यांमार, अफ्रीका, उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है।
पुनर्नवा के फायदे
मोटापा कम करने में मददगार
वैसे मोटापा किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती लेकिन यह अन्य बीमारियों के पनपने की वजह जरुर बनती है। इसलिए जो व्यक्ति मोटापा से ग्रसित हैं, उनके लिए पुनर्नवा का सेवन फायदेमंद होता है। इस पर किए गए एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, पुनर्नवा में एंटी-ओबेसिटी गुण मौजूद होते है। यह गुण शरीर के वजन को कम एवं ऑर्गन फैट पैड के वजन को सामान्य बनाने में मदद करता है। वहीं, एक अन्य शोध के मुताबिक, इसकी पत्तियों में रक्त को शुद्ध करने वाली गतिविधियां पाई जाती हैं। इसलिए वजन कम करने के लिए नियमित रूप से पुनर्नवा के काढ़े या चूर्ण का सेवन जरुर करें।
मधुमेह के इलाज के लिए
पुनर्नवा पौधे को कई जगहों पर मधुमेह के इलाज के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग किया जाता है। शोध के अनुसार पुनर्नवा में एंटी-डायबिटीज गुण पाए जाते हैं, जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए पुनर्नवा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से सेवन करने से मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है।
ह्रदय स्वास्थ के लिए फायदेमंद
पुनर्नवा का सेवन ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, पुनर्नवा में कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो ह्रदय से जुड़ी कार्यप्रणाली को चलाने का काम करता है। इसके अलावा इससे बनने वाले काढ़े का सेवन शरीर में रक्त और प्लाज्मा के संतुलन में सुधार करने का काम करता है। जिससे हृदय रोग होने की आशंका कम होती है। साथ ही पुनर्नवा में इंसुलिन की प्रचूर मात्रा होती हैं। जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का काम करता है। जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम हो जाती है।
तनाव को दूर करने के लिए
पुनर्नवा का प्रयोग तनाव को दूर करने के लिए लाभप्रद माना जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा पुनर्नवा में एंटी स्ट्रेस एवं एंटी डिप्रेसेंट गतिविधियां पाई जाती हैं, जो तनाव, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में सहायता करती है। इसके लिए इस पौधे की पत्तियों का काढ़ा या इसके जड़ की चूर्ण का सेवन करें। ऐसा करने से यह तनाव से छुटकारा दिलाने और अच्छी नीद लेने में मदद करती है।
अस्थमा के लिए फायदेमंद
पुनर्नवा अस्थमा एवं श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए प्रभावी औषधि मानी जाती है। इसलिए इसका नियमित इस्तेमाल से ब्रोन्कियल ट्यूब (श्वसन नलियों) में मौजूद कैटरल (श्लेष्म या म्यूकस) पदार्थ और कफ को हटाने में सहायक होती है। जिससे अस्थमा की समस्या कुछ हद तक ठीक हो जाती है। इस प्रकार अस्थमा के रोगियों के लिए पुनर्नवा के पौधे से निकाले गए रस या काढ़े को दिन में दो बार सेवन करना फायदेमंद होता है।
कैंसर के लिए
पुनर्नवा कैंसर को रोकने और उससे बचाने का काम भी करता है। इसके जड़ एवं पत्तियों में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं। जो कैंसर के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
किडनी की कार्य प्रणाली को सुधारने में सहायक
पुनर्नवा की जड़ के अर्क को मूत्रवर्धक (Diuretic) की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे पेशाब की मात्रा बढ़ती है। जिससे पेशाब के जरिए किडनी में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिससे पुनर्नवा का सकारात्मक प्रभाव किडनी के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके अलावा पुनर्नवा का सेवन यू टी आई संबंधित तमाम बीमारियों को भी दूर करता हैं। इसलिए पुनर्नवा के सेवन किडनी कार्य प्रणाली के लिए कारगर उपाय है।
गठिया के लिए
पुनर्नवा चूर्ण में विभिन्न तत्व मौजूद हैं। जो गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए 1ग्राम पुनर्नवा के चूर्ण को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर उपयोग करें। ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक करने से गठिया में काफी राहत मिलता है। इस प्रकार से पुनर्नवा का सेवन गठिया के लिए भी उपयोगी माना गया है।
पीलिया के लिए लाभप्रद
पीलिया से ग्रसित व्यक्ति की आंखों एवं शरीर की त्वचा का रंग बदलकर पीला हो जाता है। इसके अलावा बुखार, कमजोरी और मूत्र का रंग पीलापन आदि लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसे में पुनर्नवा का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। इसकी पंचाग अर्थात जड़, छल, बीज, फूल और पत्ती को शहद या मिश्री के साथ सेवन करना चाहिए। साथ ही पुनर्नवा की पत्तियों से बने काढ़ा भी पीलिया के लिए लाभप्रद है। इसके अलावा पुनर्नवा के संपूर्ण भागों के रस में हरड़ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से काफी आराम मिलता है।
त्वचा के लिए कारगर
पुनर्नवा की जड़ों या पत्तियों का उपयोग त्वचा संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता हैं। इस पर किए गए एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, पुनर्नवा की जड़ से बने लेप को गर्म करके अल्सर एवं फोड़े-फुंसी जैसी जगहों पर लगाने से आराम मिलता है। इसके अलावा पुनर्नवा के जड़ को तेल में गर्म करके त्वचा पर मालिश करने से सभी प्रकार के त्वचा संबंधी विकार ठीक होते हैं। यह रक्त को शुद्ध करके त्वचा को युवा बनाने का काम करता है। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा की प्राकृतिक चमक बरकरार रहती है।
पुनर्नवा के उपयोग
- पुनर्नवा और हरड़ के फलों से बने चूर्ण को शक्कर के साथ पानी में मिलाकर सेवन किया जाता है।
- पुनर्नवा के चूर्ण को शहद में मिलाकर सेवन किया जाता है।
- पुनर्नवा चूर्ण को दूध में मिलाकर पिया जाता है।
- इसके चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन किया जाता है।
पुनर्नवा के नुकसान
- पुनर्नवा में शुगर कम करने के गुण पाए जाते हैं। इसलिए इसका अधिक उपयोग करने से लो ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है।
- यदि किसी व्यक्ति को नए खाद्य पदार्थों से एलर्जी हो तो वह व्यक्ति इसका सेवन न करें।
- स्तनपान कराने माताओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को पुनर्नवा का उपयोग डॉक्टर के परामर्शानुसार करनी चाहिए।