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क्या है रेकी थेरेपी? जानें, इसके महत्व और उपयोगिता के बारे में

क्या है रेकी थेरेपी? जानें, इसके महत्व और उपयोगिता के बारे में

2021-12-21 17:02:43

रेकी थेरेपी – रेकी तनाव और उपचार सम्बन्धी जापानी विधि है, जो मुख्यतः योग जैसी क्रिया है। जिसकी शुरुआत 1920 के दशक में जापान में हुई थी। हजारों वर्ष पूर्व भारत में स्पर्श चिकित्सा का ज्ञान था। इसलिए मान्यता के अनुसार रेकी का उद्गम स्थल भारत है।

 

रेकी दो शब्दों से मिलकर बना है। रे (rei) जिसका मतलब है “उच्च शक्ति ” या सर्वव्यापी और की (ki)  जिसका शाब्दिक अर्थ है “जीवन की ऊर्जा” अर्थात यह प्राकृतिक रूप से आध्यात्मिक क्रिया है। इस तकनीक का मुख्य आधार है- जीवन की ऊर्जा। जो प्राणियों को जीवित रखती है। रेकी का प्रवाह कुछ निश्चित तरीकों से शरीर कें अंदर होता है।

 

क्या है रेकी थेरेपी?

 

विशेषज्ञों के मतानुसार रेकी एक प्रकार का चिकित्सा (थेरेपी) है। जो नकरात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने पर जोर देती है। यह एक साधारण विधि है। जो शरीर के अंगों एवं नाड़ियों में हलचल पैदा करने वाले कारक जैसे क्रोध, चिन्ता, उत्तेजना, लोभ और तनाव आदि को खत्म करती है। क्योंकि इन कारकों से रक्त धमनियों में कई प्रकार के बीमारियां उत्पन्न होती हैं। शारीरिक रोग मानसिक रोगों से प्रभावित होते हैं। इसलिए शारीरिक रोग इन्ही विकृतियों (दोष) के परिणाम है।

 

इस बीमारी के कारणों को जड़ से ठीक करती है और स्वास्थ्य स्तर को सुधारती है। रेकी के द्वारा मानसिक भावनाओं में संतुलन होता है। साथ ही शारीरिक को तनाव, बेचैनी और दर्द से छुटकारा मिलता है। यह गठिया, दमा, कैंसर, रक्तचाप, पक्षाघात (Paralysis), अल्सर, एसिडिटी, पथरी, बवासीर, मधुमेह, अनिद्रा (ठीक से नींद न आना), मोटापा, गुर्दे के रोग, आंखों के रोग, स्त्री रोग, बांझपन (Infertility) और पागलपन आदि को दूर करने में सहायता करती है।

 

रेकी थेरेपी के प्रकार–

 

रेकी तकनीक का प्रयोग साफ वातावरण में करना चाहिए। इस थेरेपी के लिए रोगी को ढीले कपड़े पहननें चाहिए। जिससे थेरेपी के दौरान उसे आराम महसूस हो सके। आयुर्वेद के अनुसार तीन दिनों तक रेकी थेरेपी का उपचार करना उपयुक्त होता है। लेकिन यदि रोग पुराना हो तो 21 दिन या इससे भी अधिक दिनों तक इस उपचार को किया जा सकता है। यह चिकित्सा दो प्रकार की होती है |

 

स्पर्श हीलिंग-

इस भाग में हाथ के स्पर्श से रेकी दी जाती है। इसमें चिकित्सक अपने हाथों से रोगी को रेकी देता है। जिससे नई ऊर्जा का प्रवाह शुरू होता है। रेकी तकनीक के इस उपचार में किसी एक स्थिति में हथेलियों को तीन मिनट तक रखा जाता है। इसके बाद अगली स्थिति पर हथेलियों को लाया जाता है।

 

डिस्टेंस हीलिंग-

इस भाग में विश्व के किसी भी कोने में बैठकर चिकित्सक रोगी का इलाज करता है। इसलिए लोग इसे दूर चिकित्सा पद्धति के नाम से भी जानते हैं। इस चिकित्सक पद्धति में रोगी को चिकित्सक के पास होना जरूरी नहीं होता। चिकित्सक को केवल रोगी का नाम, फोटो आदि का विवरण देना पर्याप्त होता है। 

 

रेकी ध्यान की प्रक्रियाएं

 

यह ध्यान (मेडिटेशन) योग जैसी प्रक्रिया है। इसको करने से मन शांत, स्वच्छ और मौन बनता है। इस ध्यान को करने के लिए प्रतीक (चिह्न) और कुछ मंत्रों का निर्माण भी किया गया है। रेकी ध्यान को करने से व्यक्ति के शरीर में स्थित शक्ति केंद्र जिन्हें चक्र कहते हैं। वह पूरी तरह से गतिमान हो जाते हैं। जिससे शरीर में जीवन चक्र का संचार होने लगता है।

 

रेकी ध्यान में चार क्रियाएं होती हैं। जो निम्न हैं –

 
  • मन की सफाई
  • चक्र बल क्रिया
  • हाथों द्वारा हीलिंग
  • प्रार्थना क्रिया

मन की सफाई–

 

इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम आसन लगाकर एक स्थान पर बैठ जाएं और गर्दन को सीधा रखें। अब मन को शांत करें और एक लंबी सांस लें। ऐसा करते समय इस बात पर ध्यान दें कि आपके भीतर खुशियां और अच्छाइयां प्रवेश कर रही हैं। और सांस को छोड़ते हुए महसूस करें कि आपके अंदर की सभी प्रकार के नकारात्मक भावनाएं बाहर जा रही हैं। यह क्रिया को एक समय पर दो से तीन बार करें। इससे आत्मा की शुद्धि महसूस होती है। 

 

चक्र बल क्रिया–

 

प्रत्येक मनुष्य के शरीर में सात तरह के चक्र होते हैं। जो हमारी रीढ़ की हड्डी से सिर के ऊपरी भाग तक फैले होते हैं। यह सभी ऊर्जा के केंद्र होते हैं। इसलिए इस तकनीक में इन चक्रों को जगाने का कार्य किया जाता है। जिससे शरीर रोगमुक्त और शांत रहता है। इसके लिए मन को एकाग्रचित करके आसान पर बैठ जाएं और सांसों की ध्वनि को महसूस करें।

 

हाथों द्वारा हीलिंग–

 

इस क्रिया में सर्वप्रथम हथेलियों को सिर के ऊपर रखें और शरीर की ध्वनि को सुनने का प्रयास करें। गहरी सांस लें और वापस छोड़े। ऐसा करते समय अपनी भीतर आती अच्छाइयों और खुशियों को महसूस करें। और सांस को छोड़ते हुए नकारात्मक ऊर्जा को बाहर जाते हुए महसूस करें। इसके बाद अपनी हथेलियों को सिर के ऊपर से हटा कर सिर के बाहर ले जाएं। अब धीरे-धीरे हाथों को गले तक लाएं और पीछे की तरफ गर्दन पर ले जाएं।

 

प्रार्थना क्रिया–

 

दोनों हाथों को प्रार्थना के स्थिति में जोड़कर छाती के सामने और पीठ को सीधा रखें। अब सामान्य रूप से सांस लें और शरीर के माध्यम से चलने वाली ऊर्जा को महसूस करें। ऐसा लगभग 3 से 5 मिनट तक करें।

 

रेकी ध्यान (मेडिटेशन) से मिलने वाले फायदे;

 
  • रेकी ध्यान दिमाग को रिलैक्स करता है और तनाव को कम करता है।
  • इस क्रिया को करने से व्यक्ति के विचारों में शुद्धता आती है।
  • अच्छी नींद के लिए यह मेडिटेशन काफी लाभप्रद है।
  • यह शरीर की ऊर्जा और आत्मशक्ति में वृद्धि करता है।
  • यह दवा के दुष्प्रभावों को कम करता है।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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