वशिष्ठासन क्या है? जानें, इसके फायदे और करने की विधियां
2022-07-01 00:00:00
योग शास्त्र में उल्लेखित वशिष्ठासन को ‘स्वास्थ का खजाना’ के नाम से जाना जाता है। इसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा के दो शब्दों से हुई है। पहला वशिष्ठ जिसका शाब्दिक अर्थ धनवान और दूसरा आसन का मतलब मुद्रा होता है। इस आसन को ऋषि "वशिष्ठ" की प्रेरणा से बनाया गया है। ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक महान संत थे। इनके पास एक दैवीय गाय थी, जो कामधेनु के नाम से प्रचलित थी। यह गाय मुनि वशिष्ठ की हर कामना को पूरी करती थी, जिसकी वजह से ऋषि वशिष्ठ धनवान हो गए थे। ठीक उसी तरह ऋषि वशिष्ठ द्वारा समर्पित वशिष्ठासन भी अनंत शक्तियों का भंडार है, जिसके निरंतर अभ्यास से मनुष्य कई तरह की स्वास्थ संपत्ति को प्राप्त करता है। इसी कारण इस योग को वशिष्ठासन के नाम से जाना जाता है। वशिष्ठासन को अंग्रेजी में साइड प्लांक पोज़ (Side Plank Pose) कहा जाता है।
वशिष्ठासन के फायदे
- यह आसन हाथ, पैर और पेट मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
- इस योगाभ्यास से शरीर में नई ऊर्जा और शक्ति का विकास होता है।
- इसके निरंतर अभ्यास से चेहरा कांतिमय और तेजस्वी होता है।
- यह आसन पीठ और पैर के पिछले हिस्सों में खिंचाव उत्पन्न करता है।
- इस आसन के नियमित अभ्यास से एकाग्रता, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता में विकास होता है।
- यह मुद्रा संतुलन शक्ति को बढ़ाता है। साथ ही आत्मिक बल में वृद्धि करता है।
- इसके योगाभ्यास से सभी तरह के धातु रोग और वीर्य दोषों का नाश होता है।
- यह आसन शारीरिक कमजोरी को दूर करके पुरुषत्व को बढ़ाता है।
- यह योग फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाने और सांस की गति को संतुलित रखने में मदद करता है।
- यह आसन गले के रोग एवं थाइरॉइड ग्रंथि की समस्या में बेहद कारगर होता है।
वशिष्ठासन करने की विधि
- सर्वप्रथम किसी समतल जगह पर दरी या चटाई बिछाकर सीधा खड़े हो जाएं।
- अब अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखते हुए कमर को झुकाएं।
- इसके बाद अपने दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाकर सीधा रखें।
- इस दौरान शरीर के संपूर्ण वजन को अपने दोनों पैरों और हाथों की उंगलियों पर संतुलित करें।
- अब पूरे शरीर के वजन दाएं हाथ पर दें और बाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाएं।
- फिर बाएं पैर को दाएं पैर के ऊपर रखें।
- अब श्वास को अंदर लेते हुए बाएं हाथ को ऊपर की ओर सीधा रखें। इस दौरान दोनों हाथ एक सीधी रेखा में होने चाहिएं।
- ध्यान दें इस योगाभ्यास के दौरान व्यक्ति का पैर, शरीर का ऊपरी हिस्सा और सिर एक सीधी रेखा में रहें।
- कुछ सेकंड या अपनी क्षमतानुसार इसी स्थिति में रहें। फिर सांस को छोड़ते हुए, बाएं हाथ को नीचे लाएं।
- पुनः अपने मूल अवस्था में आ जाएं।
- अब इस प्रक्रिया को विपरीत दिशा से करें।
वशिष्ठासन करते समय बरतें यह सावधानियां
- कलाइयों या पसलियों में किसी भी तरह का चोट या फ्रैक्चर होने पर वशिष्ठासन करने से बचें।
- यदि किसी व्यक्ति को कंधे या कोहनी संबंधित समस्या है, तो इस स्थिति में इसके अभ्यास से बचें।